राजनांदगांव-खैरागढ़ में बाढ़, गांव जलमग्न, 300 परिवारों को राहत कैंप में किया गया शिफ्ट

क्षेत्रीय

छत्तीसगढ़ में लगातार हुई बारिश के चलते नदी-नाले उफान पर हैं। सुकमा-बीजापुर से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का संपर्क अभी तक कटा हुआ है। शिवनाथ नदी का पानी घुसने से 11 गांव जलमग्न हो गए हैं। यहां 30 साल बाद बाढ़ के हालात हैं। राजनांदगांव, खैरागढ़ में बाढ़ प्रभावितों को कैंपों में शिफ्ट किया गया है। अगले 2 दिनों में मानसून की गतिविधियों में कमी की संभावना है। मानसून के 3 महीने हो चुके हैं। 11 सितंबर तक प्रदेश में 1123.7 मिमी बारिश हुई है, जो औसत से 9% अधिक है। मानसून का कोटा औसत 1139.4 मिमी है। यानी सीजन की 86% बारिश हो चुकी है। अब कोटे को पूरा करने के लिए करीब 15 मिमी पानी की जरूरत है। बुधवार को सबसे अधिक बारिश खैरागढ़-छुईखदान जिले के गंडई में 110 मिमी दर्ज की गई है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार राज्य में सक्रिय सिस्टम मध्य प्रदेश की ओर बढ़ गया है। इस वजह से फिलहाल अभी बारिश से राहत रहेगी। मौसम शुष्क होने से तापमान में बढ़ोतरी होगी। इससे गर्मी परेशान करेगी। राज्य में बारिश का सिस्टम पिछले तीन-चार दिन से सक्रिय था।

राजनादगांव के पदुमतरा से रेगाकटेरा जाने वाली रोड पर बुंदेली के पास स्थित सड़क पर बना पुल पानी के तेज बहाव में बह गया है। इसके चलते यातायात प्रभावित है। बाढ़ का पानी गांवों में घुसने से जिला मुख्यालय के कई गांव टापू बन गए हैं। राहत और बचाव के लिए प्रशासन ने 17 अस्थायी कैंप खोले हैं। इनमें करीब 250 परिवारों को ठहराया गया है। आसपास के करीब 20 गांव का संपर्क टूटा हुआ है। खैरागढ़ जिले में झमाझम बारिश के चलते नदी-नाले उफान पर हैं। तीन नदियों के संगम मुस्का, आमनेर और पिपरिया नदी ने जलस्तर बढ़ने से तबाही मचा दी है। स्थानीय इतवारी बाजार, धरमपुरा और टिकरापारा बस्ती में बारिश का पानी जमा होने से बाढ़ का विकराल रूप देखने को मिला है। बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए प्रशासन ने सांस्कृतिक भवन और प्राथमिक शाला क्रमांक 1 में व्यवस्था कराई है। बाढ़ प्रभावित 42 परिवार के लगभग 300 लोगों को कैंप में शिफ्ट किया गया है। आमनेर नदी का जल स्तर बढ़ने से धरमपुरा, अंबेडकर वार्ड डूब गया है। लोग सुबह से दुकान मकान खाली करने जुटे हैं।