स्कूलों में वीकली ऑफ या यानी छुट्टी के दिन को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. बिना किसी सरकारी निर्देश के झारखंड और बिहार के स्कूलों में रविवार के बजाय शुक्रवार को छुट्टी दी जा रही है जबकि रविवार को स्कूल खोले जा रहे हैं. झारखंड के जामताड़ा के बाद अब दुमका जिले के 33 स्कूलों में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी का मामला सामने आया है. वहीं, बिहार के किशनगंज में ऐसे स्कूलों की संख्या 37 बताई जा रही है. इसकी सूचना मिलती है राज्य सरकार हरकत में आई और जांच के आदेश दिए हैं.
क्या है मामला?
दरअसल, पहले झारखंड और फिर बिहार के कुछ जिलों में काफी समय से रविवार को स्कूल खोले जा रहे हैं और शुक्रवार को छुट्टी दी जा रही है. मामला सामने आने के बाद बिहार शिक्षा विभाग मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जांच के आदेश दे दिए. उन्होंने कहा कि जिन जगहों पर ऐसे मामले सामने आए हैं वहां जिला शिक्षा पदाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी की जा रही है.
वहीं दुमका के डीएसई संजय कुमार दास ने 33 स्कूलों के बीओ पत्र लिखकर इस मामले की जांच की सलाह दी है. इनमें सभी नाम उर्दू स्कूलों के हैं. उन्होंने एएनआई को बताया कि इस बात की जांच की जा रही है कि इन उर्दू स्कूलों में किन वजहों से शुक्रवार को सरकारी स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है. शुक्रवार को स्कूल बंद रखने के लिए विभाग की ओर से कोई निर्देश नहीं है. रिपोर्ट मिलने के बाद जांच शुरू करेंगे.
इन स्कूलों में क्यों है शुक्रवार की छुट्टी?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, झारखंड और बिहार के जिन जिलों में शुक्रवार को सरकारी स्कूलों को बंद रखा गया, रविवार को खोला गया, वहां मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या ज्यादा है. शुक्रवार को विद्यालय के छात्र नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं. स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
स्कूलों की छुट्टी पर NCPCR ने भी अधिकारियों से मांगा स्पष्टीकरण
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने भी बिहार सरकार से राज्य के मुस्लिम बहुल जिले के 37 सरकारी स्कूलों में रविवार के बजाय शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश पर स्पष्टीकरण मांगा. एनसीपीसीआर ने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुभानी को लेटर लिखा. लेटर में, एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने पूछा कि किसके निर्देश के तहत शुक्रवार को रविवार के बजाय साप्ताहिक अवकाश घोषित करने का निर्णय लिया गया है. आयोग ने इस मामले में बिहार सरकार से 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है.
रविवार को ही क्यों रहती है छुट्टी?
भारत में रविवार को ही क्यों रहती है छुट्टी? अगर आपके मन में भी यह सवाल है तो आपको बिट्रिश शासन को समझना होगा. जब भारत में अंग्रेजों का शासन था, मिल मजदूरों को सात दिन काम करना पड़ता था, उन्हें कोई छुट्टी नहीं मिलती थी. हर रविवार को ब्रिटिश अधिकारी चर्च जाते थे और प्रार्थना करते थे, लेकिन मिल मजदूरों के लिए ऐसी कोई परंपरा नहीं थी. उस समय नारायण मेघाजी लोखंडे मिल मजदूरों के नेता थे, जिन्हें भारत में ट्रेड यूनियन आंदोलन का जनक भी कहा जाता है. उन्होंने अंग्रेजों के सामने साप्ताहिक अवकाश का प्रस्ताव रखा.
उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से अपील की कि सप्ताह में 6 दिन काम करके एक दिन अपने देश और समाज की सेवा के लिए मिलना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रविवार हिंदू देवता “खंडोबा” का दिन है, इसलिए रविवार को भी साप्ताहिक अवकाश घोषित किया जाना चाहिए. लेकिन इस प्रस्ताव को ब्रिटिश अधिकारियों ने खारिज कर दिया. लेकिन लोखंडे ने हार नहीं मानी और अपना संघर्ष जारी रखा. 7 साल लंबे चले संघर्ष के बाद 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने आखिरकार रविवार को छुट्टी घोषित कर दी. हैरानी की बात यह है कि भारत सरकार ने इस बारे में कभी कोई आदेश जारी नहीं किया.