लाल किले से पीएम मोदी ने महिलाओं का अपमान न करने का संकल्प दिलवाया

राष्ट्रीय

देश में महिलाओं की आबादी 49 फीसदी के आसपास है, यानी आधी आबादी. लेकिन क्या आधी आबादी के हिसाब से महिलाओं को वो सम्मान मिला है, जो पुरुषों को मिला है. ये सवाल इसलिए क्योंकि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को अपमानित न करने का संकल्प दिलवाया है, उन्होंने इसे अपनी सबसे बड़ी पीड़ा करार दिया.

लाल किले से पीएम मोदी ने कहा, ‘क्या हम स्वभाव से, संस्कार से रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं? नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है. ये सामर्थ्य मैं देख रहा हूं.’

आधी आबादी को सम्मान देने की बात कही तो अक्सर जाती है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है? क्योंकि, जिस संसद से कानून बनते हैं, वहां लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का बिल अब तक पास नहीं हो सका है. इस समय लोकसभा के 543 सांसदों में से 81 और राज्यसभा के 237 सांसदों में से 33 ही महिलाएं हैं. यानी, लोकसभा और राज्यसभा में 15% से भी कम है आधी आबादी का प्रतिनिधित्व.

इतना ही नहीं, देश में आज भी हर दिन महिलाओं के खिलाफ अपराध के एक हजार से ज्यादा मामले दर्ज होते हैं. हर दिन बलात्कार की 76 से ज्यादा घटनाएं होतीं हैं. हर दिन 300 से ज्यादा महिलाएं अपने पति या उसके रिश्तेदारों की हिंसा का सामना करती हैं. हर दिन 19 महिलाओं की मौत दहेज हिंसा से होती है.

भारत में कैसी है महिलाओं की स्थिति?

– आबादी मेंः मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 तक देश की आबादी 136 करोड़ के आसपास होने का अनुमान है. इनमें से 48.6% महिलाएं हैं. देश में अब महिलाओं की आबादी की ग्रोथ रेट पुरुषों से ज्यादा है. 2021 में महिलाओं की आबादी की ग्रोथ रेट 1.10% रही, जबकि पुरुषों 1.07%.

– शिक्षा मेंः रिपोर्ट के मुताबिक, 1951 में पुरुषों की साक्षरता दर 27.2% थी, जो 2017 तक बढ़कर 84.7% हो गईं. वहीं, 1951 में महिलाओं की साक्षरता दर 8.9% थी, जो 2017 तक बढ़कर 70.3% तक पहुंच पाई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2011 की तुलना में 2017 में महिलाओं की साक्षरता दर 8.8% बढ़ी है.

– रोजगार मेंः यहां महिलाओं की स्थिति खराब है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में भारत में लेबर फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 21% से भी कम थी. यानी, 79% महिलाएं ऐसी थीं जो रोजगार के योग्य थीं, लेकिन वो काम की तलाश नहीं कर रही थीं. मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स की रिपोर्ट बताती है कि देश में 35% महिलाएं ऐसी हैं, जो घरों में हेल्पर के तौर पर काम करतीं हैं, जबकि ऐसा काम करने वाले पुरुष 9 फीसदी से भी कम हैं.

– राजनीति मेंः लोकसभा में 15% और राज्यसभा में 14% से भी कम महिला सांसद हैं. मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में जितने विधायक हैं, उनमें से सिर्फ 9% ही महिलाएं हैं. मिजोरम में 26% महिला विधायक हैं. जबकि, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में 14-14% महिला विधायक हैं.

– अदालतों मेंः सुप्रीम कोर्ट में 33 जजों में सिर्फ 4 ही महिलाएं हैं. देशभर की हाईकोर्ट्स में भी महिला जजों की हिस्सेदारी काफी कम है. सिर्फ तेलंगाना और सिक्किम हाईकोर्ट ही ऐसी हैं, जहां 30% से ज्यादा महिला जज हैं. मणिपुर, मेघालय, पटना, त्रिपुरा और उत्तराखंड हाईकोर्ट में तो एक भी महिला जज नहीं है. इसी साल 29 जुलाई को लोकसभा में सरकार ने बताया था कि देशभर की अदालतों में महिला वकीलों की संख्या 15.3% ही है.

– सेना मेंः तीनों सेनाओं में महिलाओं की संख्या का ताजा आंकड़ा तो नहीं है. लेकिन पिछले साल 8 फरवरी को रक्षा मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में तीनों सेनाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी का आंकड़ा दिया गया था. इसके मुताबिक, नौसेना में सबसे ज्यादा 6.5% महिलाएं हैं. वायुसेना में 1.08% और थल सेना में 0.56% महिलाएं हैं.

– पुलिस और अर्धसैनिक बलों मेंः ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPRD) के आंकड़ों के मुताबिक, 1 दिसंबर 2020 तक देश भर में 20.91 लाख पुलिसकर्मी थे, जिनमें से 2.15 लाख महिलाएं थीं. इस लिहाज से पुलिस बलों में महिलाओं की संख्या 10.3% ही है. वहीं, इसी साल 29 मार्च को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि 31 दिसंबर 2021 तक 6 अर्धसैनिक बलों में 9.30 लाख पद भरे हुए थे. इनमें से 34,222 महिलाएं ही थीं.