गणतंत्र दिवस परेड पर गेस्ट बने गार्डनर की PM मोदी से अपील, ‘मेरी 44 दिन की मजदूरी दिला दें’

राष्ट्रीय

देशभर में गुरुवार को धूमधाम से गणतंत्र दिवस मनाया गया. खास बात ये रही कि इस बार सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट और कर्तव्य पथ के निर्माण कार्य से जुडे़ श्रमजीवियों (मजदूरों) को परेड देखने के लिए स्पेशल पास दिया गया. इन्हें पहली पंक्ति में VVIP की जगह बैठाया गया. पीएम मोदी ने इन श्रमजीवियों का अभिवादन भी किया. इन श्रमजीवियों में गार्डनर सुख नंदन भी शामिल थे.

सुख नंदन ने बताया कि जब पीएम मोदी उनसे मुलाकात करने पहुंचे तो प्रधानमंत्री को इतना पास पाकर वे काफी खुश हो गए. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें मौका मिलता तो वे पीएम मोदी से क्या कहते? इस पर उन्होंने बताया कि उनके पुराने ठेकेदार ने उनकी 44 दिन की मजदूरी का भुगतान नहीं किया, ऐसे में पीएम मोदी से मजदूरी दिलाने की अपील करेंगे.

मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं सुख नंदन

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुख नंदन मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि वे पीएम मोदी को इतने करीब से देखकर काफी खुश हुए. उन्होंने बताया कि जब पीएम मोदी पास आए और उन्होंने हाथ हिलाकर अभिवादन किया, तो वे काफी खुश थे. उन्होंने कहा, मैं ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा बनकर खुश हूं. मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि मुझे गणतंत्र दिवस पर स्पेशल गेस्ट बनूंगा.

हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें मौका मिलता, तो वे पीएम मोदी से क्या कहते? इस पर उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी से कहता कि वे मेरी मजदूरी दिलाने में मदद करें.
नंदन पिछले 2 महीने से इंडिया गेट पर हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं. इससे पहले वे एक ठेकेदार के जरिए आंध्र भवन में काम कर रहे थे.

पुराने ठेकेदार पर 21 हजार बकाया

नंदन ने बताया कि ठेकेदार ने उनकी 44 दिन की सैलरी देने से मना कर दिया. नंदन का दावा है कि उनके पास उपस्थिति रजिस्टर की कॉपी भी है, इससे वे 44 दिन तक अपनी उपस्थिति साबित कर सकते हैं. नंदन इंडिया गेट के पास बने अस्थाई टेंट में अपने बच्चे और पत्नी के साथ रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि ठेकेदार उनकी सैलरी देने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में मैंने उनका ब्रश कटर लौटाने से मना कर दिया. नंदन ने बताया, उन्होंने ठेकेदार से कह दिया है कि वह मेरी सैलरी दे दे और अपना सामान वापस ले जाए.

स्थानीय निकाय कामों के लिए निजी ठेकेदारों को आउटसोर्स करते हैं. ये ठेकेदार सरकार द्वारा निर्धारित दर पर भुगतान करने के वादे के साथ मजदूरों को काम पर रखते हैं. कई बार इन श्रमिकों का शोषण किया जाता है और ठेकेदारों द्वारा किसी न किसी बहाने से वेतन देने से मना कर दिया जाता है.

नंदन के मुताबिक, गार्डनर की सैलरी स्थानीय निकाय द्वारा 14,586 रुपए तय किया गया है. ऐसे में मेरी 44 दिन की सैलरी करीब 21000 रुपए हो गई. लेकिन ठेकेदार सिर्फ 6,000 रुपए देने की बात कर रहा है. इतना ही नहीं नंदन ने बताया कि ठेकेदार उन्हें उसके सामान के लिए एफआईआर की भी धमकी दे रहा है. उन्होंने कहा कि अगर मुझे सरकार से कोई मदद मिलती है, तो मैं शुक्रगुजार रहूंगा.

वहीं, जब नंदन के पुराने ठेकेदार जितेन उपाध्याय से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि कुछ विवाद के चलते सैलरी का भुगतान नहीं किया गया है. ठेकेदार ने कहा कि मुझे लगता है कि 21000 रुपए बाकी नहीं है. इसके बावजूद वह ब्रश कटर नहीं दे रहा है. उसे पहले वह लौटाना होगा.