तुर्की का शुमार आधुनिक देशों में है. लेकिन केन्या की एरिन का अनुभव इस्तांबुल में बहुत ही डरावना रहा.
एरिन पेज लॉ को तुर्की के इस्तांबुल एयरपोर्ट पर अचानक पीरियड्स शुरू हो गया. उनके पास सैनिटरी पैड नहीं था. उन्हें एयरपोर्ट पर कई घंटों की तलाश के बाद भी पैड नहीं मिला.
उन्होंने बताया कि किस तरह से एक इंटरनेशनल और आलीशान एयरपोर्ट पर उन्हें सैनिटरी पैड के लिए दर-दर भटकना पड़ा. यहां तक कि लोगों ने उनकी इस मजबूरी का भी फायदा उठाने की कोशिश की.
अपनी कहानी बताते हुए एरिन कहती हैं, ”मासिक धर्म कोई अनोखी बात नहीं है लेकिन इस्तांबुल एयरपोर्ट पर मेरे लिए ये भयावह अनुभव बन गया. मेरी हालत को कई लोग समझ सकते हैं. मुझे हवाईअड्डे पर पीरियड्स शुरू हो गया और मेरे पास पैड, टैम्पोन या मैन्सट्रुअल कप नहीं थे.”
एरिन ने बताया, “मुझे दो लंबी उड़ानें लेनी थीं. जैसा कि हर किसी के साथ पीरियड्स में होता है, मेरे पीरियड्स में भी मेरे कपड़े खराब हो रहे थे. वो एक बहुत बड़ा एयरपोर्ट था जहां से मैं दो हजार डॉलर की शराब की बोतल, एक ड्रोन, रोमैंटिक नॉवल और ना जाने क्या-क्या चीजें खरीद सकती थी. मैंने सोचा निश्चित रूप से टर्मिनल ए, बी, सी, डी या एफ में टैम्पोन या पैड जरूर मिल जाएंगे. लेकिन मुझे और मेरे पति को कोई स्टोर या फ़ार्मेसी नहीं मिल रही थी जो बहुत अजीब बात थी क्योंकि ये एक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा था और ऐसी दुकानें आमतौर पर हर जगह होती हैं.”
सैनिटरी पैड्स के लिए पूरा एयरपोर्ट छान मारा
एरिन कहती हैं, ”हालांकि मुझे और मेरे पति को अभी भी पूरा विश्वास था कि हम कोई ना कोई दुकान ढूंढ लेंगे क्योंकि कई महिला यात्रियों को इसकी जरूरत पड़ती है और ऐसी चीजें एयरपोर्ट पर होनी चाहिए. इस बीच मैंने एक ड्यूटी फ्री स्टोर पर एक युवक से पूछा कि यहां फार्मेसी कहां मिलेगी जिस पर उसने बड़ी ही बेरूखी से ‘ना’ में जवाब दिया. इसके बाद मैंने उससे फिर पूछा कि मुझे टैम्पोन कहां मिल सकता है. उसने कहा यहां मिलना संभव नहीं है. उसकी इस बात पर मुझे हंसी आ गई और मैं आगे बढ़ गई.
”जब मैं टैम्पोन ढूंढने की कोशिश कर रही थी तो मेरे पति इन्फॉर्मेशन डेस्क की लाइन में थे. इसके बाद हमने वहां सैनिटरी पैड और टैम्पोन के बारे में पूछा तो पता चला कि हमें वहां से दूसरी बड़ी इन्फॉर्मेशन डेस्क पर जाना होगा जहां हमें शायद वेंडिग मशीन मिल सकती है. इसके बाद हम अपने गेट से विपरीत दिशा में डेस्क की ओर भागे. मुझे इस बीच महसूस हुआ कि शायद तुर्की में केवल पैड्स ही इस्तेमाल किए जाते हों. लेकिन ऐसा नहीं था तुर्की में टैम्पोन्स मिलते हैं.”
उन्होंने बताया, ”आखिरकार हम बड़ी इंफो डेस्क पर पहुंच गए जहां एक आदमी ने मुझसे कहा कि मैं फार्मेसी में एमरजेंसी कॉल कर सकती हूं जो मुझे बड़ी बेवकूफी लगी क्योंकि पीरियड्स काफी सामान्य बात है, कोई इमरजेंसी नहीं. लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था. इसलिए मैंने कॉल किया. लेकिन कॉल के दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति को इंग्लिश नहीं आती थी. इस पर मैंने तेज आवाज में टैम्पोन, पैड बोलना शुरू किया. इस दौरान डेस्क पर बैठी महिला ये चेक कर रही थी क्या मैंने सही एक्सटेंशन पर फोन लगाया है तो वहीं लाइन में खड़े कुछ लोग कन्फ्यूज होकर मुझे देख रहे थे.”
स्टाफ का रवैया था बेहद खराब
एरिन ने बताया कि हवाईअड्डे के अधिकारियों का व्यवहार बिलकुल भी अच्छा नहीं था जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा परेशानी हुई.
वो कहती हैं, ”इसके बाद उसने दूसरे आदमी को फोन दे दिया जिसके बाद उस आदमी ने मुझसे कहा कि वो मुझे टैम्पोन दिला सकता है. वो मेरी स्थिति समझने के बजाय ऐसे बात कर रहा था जैसे मैंने उससे कोल्ड ड्रिंक के लिए बोला हो. उसने कहा मैं कार्ड से भुगतान कर सकती हूं और वो 15 मिनट में मेरे पास पहुंच जाएंगे. हमारी फ्लाइट पहले से ही बोर्डिंग कर रही थी और हमें देर हो रही थी इस पर मेरे पति ने कहा कि चिंता मत करो, हम भागने में अच्छे हैं तो हम वक्त पर पहुंच जाएंगे. ये सच था लेकिन मैं दौड़ नहीं सकती थी क्योंकि मुझे पीरियड्स हो रहे थे.”
”कुछ देर बाद एक आदमी एक छोटा सा प्लास्टिक का थैला लेकर आता है जिसमें पैंटी लाइनर्स थे. ये देखकर मैं चकित रह गई. मेरे पति ने सोचा कि अब हमारा काम हो गया लेकिन मैंने अपने पति और उस लड़के से कहा कि मुझे टैम्पोन की जरूरत है. इस स्थिति में पैंटी लाइनर उपयोगी नहीं हैं.”
मजबूरी का किस तरह फायदा उठाते हैं लोग
एरिन ने कहा, ”इसके बाद उस लड़के ने कहा कि वो टैम्पोन ला सकता है. मुझे यहां ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे मैं कोई गैरकानूनी चीज खरीद रही हूं. वो लड़का अपनी यूनिफॉर्म में भी नहीं था और वो कह रहा था कि इसके लिए मुझे उसे 20 डॉलर देने होंगे. उसने कार्ड भी नहीं लिया. इसके बाद वो हमारे साथ हवाईअड्डे पर एटीएम ढूंढ़ने लगा. इस बीच चलते-चलते मेरे पति उससे कहने लगे कि एयरपोर्ट पर कई महिलाओं के सामने ये स्थिति आती होगी तो यहां पर इंतजाम क्यों नहीं किए गए, इतनी सी बात पर वो नाराज होने लगा.”
”इसके बाद हमने एटीएम से पैसे निकाले और वो कुछ पैसे लेकर वहां से चला गया. इस दौरान मैं ये सोच रही थी क्या हमारी फ्लाइट छूट जाएगी. मुझे इस बात की भी फिक्र थी क्योंकि मैंने बहुत हल्की डेनिम की जींस पहनी थी. आखिरकार वो वापस आया. उसने हमें टैम्पोन का एक पैकेट दिया जिसकी कीमत आमतौर पर तीन डॉलर होती है. लेकिन हमने उसे 20 डॉलर के बजाय 21 डॉलर दिए क्योंकि उसने कहा कि उसके पास चेंज नहीं है. हमें वहां से निकलना था. जब हम अपनी फ्लाइट के लिए पहुंचे तो मुझे बहुत रोना आ रहा था. मैंने अपने पीरियड्स की वजह से जो झेला, उस पर मुझे गुस्सा और शर्मिंदगी दोनों महसूस हो रही थी.”
हवाईअड्डे के अधिकारियों की उदासीनता की वजह से झेली प्रताड़ना
वो कहती हैं, ”मुझे लगता है कि मैं यहां खुद को काफी मूर्ख महसूस कर रही थी क्योंकि ये मेरे काम का एक हिस्सा है. मैं ‘गरीबी में मासिक धर्म’ विषय पर ही काम करती हूं. मेरा काम उन लड़कियों तक पहुंचना है जिनके पास मासिक धर्म में इस्तेमाल आने वाली चीजें नहीं होतीं. हम उन तक वो चीजें पहुंचाते हैं ताकि उन्हें किसी स्थिति में स्कूल न छोड़ना पड़े.
एरिन कहती हैं, मैं एक ऐसे आलीशान एयरपोर्ट पर थी जहां से मैंने 20 डॉलर की मैगजीन खरीदी लेकिन मेरे पास अपने पीरियड्स के लिए कोई चीज नहीं थी. लेकिन इसके साथ ही ये भी मूर्खतापूर्ण है कि तुर्की अपने हवाई अड्डे पर मेरे और मेरे जैसे कई लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े-बड़े वादे करता है लेकिन उसके हवाईअड्डे पर दुनिया की 50 फीसदी आबादी यानी महिलाओं की जरूरत की चीजें नहीं हैं. अगर इतने बड़े और आलीशान हवाईअड्डे या फिर अफ्रीका के किसी छोटे गांव में इस जरूरत पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो ये एक बड़ी समस्या है.”
उन्होंने अपने आखिरी ट्वीट में इस्तांबुल हवाईअड्डे के अधिकारियों को खरीखोटी सुनाते हुए कहा, ”मैं यहां ये कहना चाहूंगी कि मुझे इसके लिए शर्मिंदा नहीं होना चाहिए बल्कि इस्तांबुल हवाईअड्डे के अधिकारियों को शर्मिंदा होना चाहिए और इस व्यवस्था को ठीक करना चाहिए. उन्हें अपने हवाईअड्डे पर मासिक धर्म से जुड़े उत्पाद बेचने चाहिए.”