सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के शासन में बढ़े फांसी के मामले….

अंतरराष्ट्रीय

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में एक तरफ जहां सऊदी अरब अपनी रूढ़िवादी छवि से बाहर निकल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ, शरिया कानून के तहत सऊदी में फांसी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. आलम यह है कि इस्लामिक देश में नए साल की पूर्व संध्या पर चार लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. सऊदी अधिकारियों ने फांसी की सजा के जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक, सऊदी अरब में 2023 में 170 लोगों को फांसी दी गई जो पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है

साल 2022 में सऊदी में कुल 147 दोषियों को फांसी की सजा दी गई. मानवाधिकार कार्यकर्ता सऊदी अरब में फांसी की सजा के बढ़ते ट्रेंड की आलोचना करते रहे हैं. ऐसे में सऊदी में फांसी के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं. साल 2019 में सऊदी अरब में रिकॉर्ड 187 लोगों को फांसी दी गई थी.

सऊदी अरब की सरकारी न्यूज एजेंसी एजेंसी ने गृह मंत्रालय के बयानों का हवाला देते हुए बताया कि रविवार को जिन चार लोगों को फांसी दी गई, उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया था.

इनमें दो फांसी उत्तर-पश्चिमी शहर ताबुक में, एक राजधानी रियाद में और एक दक्षिण-पश्चिम में जाजान में दी गई. 2023 के दौरान जिन लोगों को फांसी दी गई उनमें 33 मामले आतंकवाद से संबंधित थे. दो सैनिकों को देशद्रोह का दोषी पाए जाने पर फांसी दिया गया. दिसबंर के महीने में सबसे अधिक 38 लोगों को फांसी देकर मौत के घाट उतार दिया गया.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि 2022 में सऊदी अरब ने चीन और ईरान को छोड़कर अन्य किसी भी देश की तुलना में अधिक लोगों को फांसी दिया.

फांसी देने के लिए कुख्यात सऊदी अरब ने मार्च 2022 में एक ही दिन में 81 लोगों को फांसी दे दिया था जिसकी दुनिया भर में आलोचना हुई थी. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सऊदी के इस फैसले की खुलकर निंदा की थी.

वहीं, सऊदी अधिकारियों का मानना ​​है कि फांसी शरिया कानून, कुरान की शिक्षाओं पर आधारित इस्लामी कानून संहिता और ‘सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने’ के लिए जरूरी है.

सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल निर्यातक सऊदी की इस्लामिक रूढ़िवादी छवि को सुधारकर देश को व्यवसाय और पर्यटन केंद्र में बदलना चाहते हैं. यह उनके महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘विजन 2030’ का महत्वपूर्ण लक्ष्य है. लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि सऊदी में फांसी के बढ़ते मामले उसके इस लक्ष्य को कमजोर करते हैं.