हैदराबाद के आखिरी और आठवें निजाम नवाब मीर बरकत अली खान वालाशन मुकर्रम जाह बहादुर का निधन हो गया. वे पिछले एक दशक से तुर्की में ही रह रहे थे. उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक उन्हें हैदराबाद में ही सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.
हैदराबाद के आठवें निजाम नवाब मीर बरकत अली खान वालाशन मुकर्रम जाह बहादुर का निधन 14 जनवरी की रात 10:30 बजे हुआ. उन्होंने 89 साल की उम्र में तुर्की के इस्तांबुल में आखिरी सांस ली. निजाम के बेटे उन्हें 17 जनवरी यानी मंगलवार को सुपुर्द-ए-खाक करेंगे.
निजाम खानदान की रइसी के चर्चे मशहूर रहे हैं. जब 1947 में देश आजाद हुआ उस समय निजाम को धरती पर सबसे अमीर शख्स माना जाता था. उस समय इस पूरी धरती पर हैदराबाद के शासक मीर ओसमान अली के बराबर पैसा, सोना-चांदी-हीरे-जवाहरात किसी और शासक के पास नहीं थे. साल 1911 में ओसमान अली खान हैदराबाद के सातवें निजाम बने थे. देश जब आजाद हुआ और हैदराबाद को भारत में मिला लिया गया तबतक ओसमान अली खान का ही शासन रहा. निजाम के पास कुल नेट वर्थ 17.47 लाख करोड़ यानी 230 बिलियन डॉलर की आंकी गई थी.
निजाम की कुल संपत्ति उस समय अमेरिका की कुल जीडीपी की 2 फीसदी के बराबर बैठती थी. निजाम के पास अपनी करेंसी थी, सिक्का ढालने के लिए अपना टकसाल था, 100 मिलियन पाउंड का सोना, 400 मिलियन पाउंड के जवाहरात थे. निजाम की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया था गोलकोंडा माइंस, जो उस समय दुनिया में हीरा सप्लाई का एकमात्र जरिया था. निजाम के पास जैकब डायमंड था जो उस समय दुनिया के सात सबसे महंगे हीरों में गिना जाता था. जिसका इस्तेमाल निजाम पेपरवेट के तौर पर करते थे. इसकी कीमत 50 मिलियन पाउंड के बराबर हुआ करती थी.
खजाना भी बेहिसाब!
निजाम के पास संपत्ति बेहिसाब थी. इतनी ज्यादा कि अगर किसी और के पास होती तो वो सोने के बिस्तर पर ही सोता. निजाम के महल के कोने-कोने में ऐसा ऐश्वर्य बिखरा हुआ था, जिसका मूल्यांकन भी आसान नहीं. उनकी मेज के ड्रॉज में पुराने अखबार में लिपटा सुप्रसिध ‘जैकब’ हीरा पड़ा था, जिसका आकार नींबू जितना था. वह 280 कैरेट का था, दूर से ही चमचमाता. निजाम उसे पेपरवेट की तरह उपयोग करते.
उनके अपेक्षित बगीचे की कीचड़ में दर्जन भर ट्रक खड़े थे, जो लदे हुए माल के वजन के कारण, बुरी तरह धंसे जा रहे थे. माल था- सोने की ठोस ईंटे. उनके जवाहरात का खजाना इतना बड़ा था कि लोग कहा करते- यदि केवल मोती-मोती निकालकर चादर की तरह बिछाए जाएं, तो पिकाडिली सरकस के सारे फुटपाथ ढक जाएं.’ माणिक, मुक्ता, नीलम, पुखराज आदि के टोकरे भर-भर कर तलघरों में रखे हुए थे- जैसे कि कोयले के टोकरे भरे हुए हों.’