वकीलों के सामने IAS अफसर ने लगाई उठक-बैठक, खुले में टॉयलेट करने पर मुंशी को दी थी सजा

उत्तरप्रदेश : शाहजहांपुर में IAS अफसर रिंकू सिंह राही से वकीलों ने कान पकड़कर उठक-बैठक लगवाई। कल मंगलवार दोपहर में उन्होंने एक वकील के मुंशी को खुले में टॉयलेट करते देख लिया और उससे उठक-बैठक लगवाई। इससे वकील नाराज हो गए और उन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद उठक-बैठक लगवाई। IAS रिंकू सिंह उठक बैठक लगाने से पहले बोले– मैं खुद भी बाहर टॉयलेट नहीं करूंगा। मैं जनेऊधारी हूं। रिंकू सिंह राही मथुरा में जॉइंट मजिस्ट्रेट थे। वहां से ट्रांसफर होकर उन्होंने आज ही पुवायां SDM का चार्ज संभाला था। रिंकू सिंह राही 2022 बैच के IAS अफसर हैं। बसपा शासन में 26 मार्च, 2009 को उन पर फायरिंग हुई थी। सात गोलियां लगीं, जिनमें से दो उनके चेहरे पर लगी थीं। जिससे चेहरा बिगड़ गया था। एक कान खराब हो गया और एक आंख की रोशनी चली गई। IAS रिंकू सिंह राही ने मंगलवार दोपहर 2 बजे पुवायां तहसील का चार्ज संभाला था। उसके बाद तहसील के दफ्तरों के निरीक्षण पर निकले। इसी दौरान उनकी नजर परिसर के अंदर ही दीवार के पास टॉयलेट कर रहे वकील आज्ञाराम के मुंशी विजय (38 साल) पर पड़ी। उन्होंने उसे टोक दिया और शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए कहा।
मुंशी ने रिंकू सिंह को जवाब दिया कि शौचालय गंदे हैं। इस पर एसडीएम बिफर गए, कहने लगे कि ये गलती तहसील कर्मचारियों की है। मौके पर ही मुंशी से उठक-बैठक लगवा दी। तहसील परिसर में वकील अपनी कुछ मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, तभी उनको ये बात पता चल गई। वकील भड़क गए। उन्होंने एसडीएम को मौके पर बुलवा लिया। एसडीएम मौके पर पहुंचे और कहने लगे कि मुंशी ने गलती की है, जिस पर वकीलों ने कहा कि गलती है, तो उठक बैठक लगवाना सही नहीं है। क्या आप उठक बैठक लगा सकते हैं? इस पर एसडीएम का रुख नरम पड़ा। उन्होंने कहा, इसमें कोई शर्म नहीं है, मैं उठक बैठक लगा सकता हूं। इसपर उन्होंने 5 बार उठक-बैठक लगाई।
वकीलों ने उठक-बैठक लगाने से रोका, लेकिन नहीं माने वकीलों ने एसडीएम को उठक-बैठक लगाने से रोकने की कोशिश की। लेकिन, एसडीएम नहीं माने। उन्होंने पांच बार उठक-बैठक लगाई। एसडीएम ने यह भी कहा कि तहसील परिसर में साफ-सफाई और शौचालय की व्यवस्था उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने इसमें सुधार करने का आश्वासन दिया। IAS रिंकू सिंह राही ने बताया, ‘मैंने आज जॉइन किया है। तहसील परिसर में घूम रहा था। ऐसे में कुछ लोग दिखाई दिए। जो शौचालय के पास खड़े थे। वह लोग शौचालय के बगल खुले में टॉयलेट कर रहे थे। उनसे पूछा तो उन्होंने मुझसे सीधे कहा कि मैं टॉयलेट में नहीं जाऊंगा। उनको आगाह करने के लिए मैंने उसे उठक-बैठक कराई। ताकि आगे से ऐसा काम ना करें।
इसके बाद मैं अधिवक्ताओं के पास पहुंचा। जो यहां पर हड़ताल कर रहे थे। उनसे पूछा कि भाई आपकी क्या समस्या है। तो उन्होंने मुझसे बात करने के लिए मना कर दिया। फिर उन्होंने आरोप लगाना शुरू कर दिया और बात को बढ़ाना शुरू कर दिया। बोले– आपने उठक-बैठक कैसे लगवा दी? तो मैंने उनको कारण बताए। इसके बाद उन्होंने मुझसे सवाल किया कि आपके तहसील परिसर में गंदगी है। यहां आवारा जानवर घूमते हैं। टॉयलेट गंदे हैं। उन्होंने कई समस्याएं बताईं। इसमें कोई शक नहीं, उनकी बात सही है। उन्होंने मुझसे पूछा क्या आप उठक बैठक लगा सकते हो? मैंने कहा– हां। गलती तो गलती है। मैंने उन्हें समझाया। सरकारी कर्मचारी के लिए उठक-बैठक करने से बड़ी समस्या एक दलित होना है। यह गलती है, तो गलती है। उन्होंने कहा कि आप भी उठक बैठक लगाइए। तो मैंने लगा दी। आज ही मैंने ज्वाइन किया था। यहां जब मैंने बात की तो पता चल 10 दिन पहले और भी गंदगी थी। अभी भी कुछ कमियां रह गई हैं। गलतियां होंगी तो बताइए। हम सुधार करेंगे।
फिर एक कहानी सुनाई… रिंकू सिंह राही ने एक कहानी सुनाई। कहा, इसी तरह एक प्राइमरी स्कूल के बच्चे मां-बाप के साथ घूम रहे थे। मैंने उनसे पूछा तो वह बोले कि बच्चे को साथ ले जाएंगे। मुझे लगा कि मां-बाप की वजह से बच्चों को नुकसान हो रहा है। मां-बाप को पता नहीं शिक्षा का कितना महत्व है। उनको आगाह करने के लिए उनसे उठक-बैठक लगवाई गई थी।