ध्रुवों पर पिघल रही बर्फ बढ़ा रही है हमारे दिन का समय..

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ध्रुवों पर जमा बर्फ तेजी से पिघल रही है. इससे सिर्फ समंदर का जलस्तर नहीं बढ़ रहा. बल्कि दिनभर का समय भी बदल रहा है. इससे पूरे साल का समय बदल रहा है. इन सबके पीछे वजह है पेट्रोल, डीजल, कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधन का भरपूर इस्तेमाल. दिन भर का समय कुछ सेकेंड्स में बदले तो इंसानों को पता नहीं चलता. लेकिन इनकी गणना करने वाली दुनिया भर की बेहद सटीक 450 एटॉमिक घड़ियों को पड़ता है. ये घड़ियां पूरी दुनिया में समय को संतुलित करने के लिए बनाई गई हैं. जिसे कॉर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC) कहा गया है. जिसे पहली बार 1969 में परिभाषित किया गया था. धरती पर समय की गणना का पारंपरिक तरीका है पृथ्वी के रोटेशन यानी घुमाव पर नजर रखना. लेकिन धरती के घुमाव में भी अंतर आता है. इसलिए 1972 से सही समय जानने के लिए आधिकारिक टाइम स्टैंडर्ड में 27 लीप सेकेंड्स जोड़ने का प्रबंध किया गया. लेकिन पिघलते बर्फ से दिन का समय बढ़ रहा है. ये हैरान करने वाला है.

ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में लगातार बर्फ पिघल रही है. इसकी वजह है ग्लोबल वॉर्मिंग यानी बढ़ता हुआ तापमान. इससे धरती की गति पर असर पड़ रहा है. जिससे दिन का समय बढ़ रहा है. यह मात्रा बेहद छोटी है लेकिन एटॉमिक क्लॉक इसे पकड़ लेता है.

पिघलती हुई बर्फ धरती की एंग्युलर वेलोसिटी को कम कर रहा है. इसलिए अब निगेटिव लीप सेकेंड की जरूरत है. या फिर एक सेकेंड छोड़कर दूसरे सेकेंड को जोड़ने की. वैज्ञानिकों को अब यह तीन साल बाद करना होगा, जबकि यह इससे पहले होना चाहिए था.