भारत बीते साल 2022 में दुनिया की टॉप-10 अर्थव्यवस्थाओं में पांचवे नंबर पर पहुंचा और साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी (Indian Economy) बनने की ओर बढ़ रहा है. इस तरह भारत हाई इनकम वाले देशों की लिस्ट में तो शामिल हो चुका है, लेकिन भारत में आय के बंटवारे में असमानता लगातार बढ़ती जा रही है. चिंता की बात है कि बीते 20 साल में लोगों की इनकम और संपत्ति में असमानता का दायरा तेजी से बढ़ा है. यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम यानी UNDP की रिपोर्ट में ये बड़ा दावा किया गया है.
भारत दुनिया के उन टॉप 10 देशों में शामिल है जहां लोगों की इनकम तो बढ़ी है भारत बीते साल 2022 में दुनिया की टॉप-10 अर्थव्यवस्थाओं में पांचवे नंबर पर पहुंचा और साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी (Indian Economy) बनने की ओर बढ़ रहा है. इस तरह भारत हाई इनकम वाले देशों की लिस्ट में तो शामिल हो चुका है, लेकिन भारत में आय के बंटवारे में असमानता लगातार बढ़ती जा रही है. चिंता की बात है कि बीते 20 साल में लोगों की इनकम और संपत्ति में असमानता का दायरा तेजी से बढ़ा है. यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम यानी UNDP की रिपोर्ट में ये बड़ा दावा किया गया है. लेकिन इसमें समान इजाफा नहीं हुआ है. हैरान करने वाली बात ये है कि 10 फीसदी अमीर लोगों के पास देश की आधी संपत्ति है. ऐसे में भारत की असमान ग्रोथ नीति निर्माताओं के लिए चिंता की बात है. वैसे भी जिस देश में 80 करोड़ लोगों को सरकार हर महीने मुफ्त राशन दे रही है वो ही जाहिर करता है कि भारत में असमानता काफी गहरी है.
ये हाल तब है जबकि भारत में गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करने वालों की संख्या में काफी कमी आई है. UNDP की रिपोर्ट में आंकड़ों के साथ इसकी जानकारी शेयर की गई है. इसे देखें तो देश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या 2015-16 में 25 फीसदी थी जो 2019-21 के दौरान घटकर 15 फीसदी रह गई है. आंकड़ों में आई ये कमी भारत की घनी आबादी की वजह से उतनी असरदार नजर नहीं आती है
8 करोड़ लोग गरीबी में रहने को मजबूर हैं. इनकी इनकम 2.15 डॉलर यानी 180 रुपए से भी कम है. कुछ ऐसे लोग भी हैं जो गरीबी रेखा से ठीक ऊपर हैं जिनका फिर से गरीबी रेखा के नीचे जाने का खतरा बना हुआ है. इनमें महिलाएं, असंगठित क्षेत्र के मजदूर, प्रवासी मजदूर वगैरह शामिल हैं.
UNDP की रिपोर्ट में भारत को इस समस्या से निपटने का फॉर्मूला भी सुझाया गया है. इसमें कहा गया है कि मौजूदा चुनौतियों पर काबू पाने के लिए ह्यूमन डेवलपमेंट में इनवेस्टमेंट को प्राथमिकता देने की जरुरत है. साथ ही सभी देशों को ऐसा करने के लिए अपना रास्ता खुद तैयार करना होगा.
कहा गया है कि 12 से 120 डॉलर रोजाना कमाने वाले मध्यम वर्ग की आबादी भारत में बढ़ी है. ग्लोबल मिडिल-क्लास ग्रोथ में 24 फीसदी योगदान भारत का रहने वाला है जो कि 19.2 करोड़ जनसंख्या के बराबर है भारत अगले 4 साल में दुनिया की टॉप-3 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो सकता है. इसका मतलब है कि देश में प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी होगी. लेकिन इसका असली फायदा तभी मिलेगा जब तरक्करी में हर भारतीय का बराबर योगदान हो और उन सभी को देश की ग्रोथ का भरपूर फायदा भी मिले.