युद्ध के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो दिवसीय रूस यात्रा, जरूरी मुद्दों पर होगी बातचीत

राष्ट्रीय

यूक्रेन और रूस के बीच हो रहे युद्ध के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो दिवसीय रूस यात्रा पर पूरी दुनिया की नजरें टिक गई हैं. ऐसे माहौल में भारतीय विदेश मंत्री का मॉस्को जाना काफी अहम माना जा रहा है. मॉस्को में एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गे लावरोव के बीच कई जरूरी मुद्दों पर बातचीत होगी.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के रूस पहुंचने से एक दिन पहले रूसी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि भारत और रूस कई दबाव वाले मुद्दों के बावजूद एक संतुलित और समान वैश्विक व्यवस्था के साथ-साथ बहुध्रुवीय (पॉलिसेंट्रिक) दुनिया बनाने के लिए एक साथ खड़े हैं.

रूसी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दोनों देश यूएन चार्टर के मुताबिक जरूरी मुद्दों और नियमों का समर्थन करते हैं. रूस ने कहा कि दोनों देशों का यह कदम वैश्विक तानाशाही को पूरी तरह से नकारते हुए एक ऐसे एजेंडे की वकालत करना है, जो सभी देशों के लिए अनुकूल हो.

रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गे लावरोव के बीच बातचीत में व्यापार, निवेश, ऊर्जा क्षेत्र और कारोबार के लिए नेशनल करेंसी के उपयोग जैसे मुद्दों पर फोकस रहेगा. वहीं, एशिया- प्रशांत क्षेत्र में एक सुरक्षा ढांचे के गठन पर भी जोर रहेगा.

SCO की अध्यक्षता को लेकर भी चर्चा
रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र में वर्तमान में चल रहे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों समेत, शंघाई सहयोग संगठन ( SCO ), जी20 और रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय संबंध पर भी चर्चा करेंगे. जयशंकर के दो दिवसीय मॉस्को दौरे पर एससीओ में भारत की अध्यक्षता को लेकर भी चर्चा होगी. रूस ने यह भी कहा है कि इस दौरे पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक सुरक्षा ढांचे, आतंकवाद से लड़ने के प्रयास, ईरानी परमाणु समस्या, अफगानिस्तान, सीरिया और यूक्रेन के मुद्दों को लेकर भी वार्ता की जाएगी.

उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव से भी होगी मुलाकात
दो दिवसीय रूस दौरे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने समकक्ष सर्गे लावरोव के अलावा रूसी उप प्रधानमंत्री एवं व्यवसाय और औद्योगिक मंत्री डेनिस मंतुरोव से भी मुलाकात करेंगे. पिछले सप्ताह जयशंकर की मॉस्को यात्रा की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

मालूम हो कि फरवरी में शुरू हुए रूस और यूक्रेन जंग के बाद से अब तक चार बार जयशंकर और लावरोव की मुलाकात हो चुकी है. वहीं, युद्ध शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई बार फोन पर बात की है.

पीएम मोदी ने एससीओ मीटिंग में पुतिन को दी थी खास सलाह
फरवरी में रूस और यूक्रेन में जंग शुरू होने के बाद से ही भारत का पक्ष साफ रहा है कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है. सितंबर में भी पीएम मोदी ने समरकंद में आयोजित एससीओ मीटिंग में द्विपक्षीय वार्ता के दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है.

तेल खरीदने को लेकर अमेरिका पहले ही हो चुका नाराज

यूक्रेन से जंग की वजह से अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं. इसके बावजूद पिछले कई महीनों से भारत और रूस के बीच तेल खरीद जारी है. अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर नाराजगी भी जताई थी. जिसपर भारत ने साफ कहा था कि हमने अपने नागरिकों के हित में यह फैसला किया है. ऐसे में अब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूस यात्रा पर अमेरिका क्या प्रतिक्रिया देता है, यह देखना दिलचस्प होगा.