भारत का ऐसा पासपोर्ट जिस पर बिना वीजा किसी देश में एंट्री…

राष्ट्रीय

भारत सरकार कुल 4 तरह के पासपोर्ट जारी करती है. पहला- ब्लू पासपोर्ट, दूसरा- ऑरेंज पासपोर्ट, तीसरा- व्हाइट पासपोर्ट और चौथा- डिप्लोमेटिक पासपोर्ट या मैरून पासपोस्ट. इन पासपोर्ट का कलर अलग-अलग इसलिये है, ताकि आम भारतीयों को सरकारी अधिकारियों और राजनयिकों से अलग रखा जा सके और दूसरे देश में कस्टम और पासपोर्ट चेक करने वाले अधिकारी इन्हें आसानी से पहचान सकें. ब्लू पासपोर्ट सबसे कॉमन पासपोर्ट है, जो आम नागरिकों को जारी किया जाता है. इसका रंग गाढ़ा नीला होता है. विदेश मंत्रालय आम नागरिकों को व्यक्तिगत अथवा पेशेवर जरूरतों के लिए ब्लू पासपोर्ट जारी करती है ऑरेंज पासपोर्ट – उन भारतीय नागरिकों को जारी किया जाता है, जो सिर्फ 10वीं तक ही पढ़े होते हैं. ये पासपोर्ट ज्‍यादातर उन भारतीयों के लिए जारी किया जाता है, जो विदेश में माइग्रेंट लेबरर के तौर पर काम करने के लिए जाते हैं भारत सरकार, सरकारी कामकाज से विदेश यात्रा करने वाले अपने अधिकारियों को व्हाइट पासपोर्ट जारी करती है. कस्टम चेकिंग के समय उनके साथ सरकारी अधिकारियों जैसा बर्ताव किया जाता है. सफेद पासपोर्ट के लिए आवेदक को अलग से एक ऐप्लीकेशन देनी पड़ती है. इसमें उसे बताना पड़ता है कि उसे इस पासपोर्ट की जरूरत क्यों है? उन्हें अलग से कई सुविधाएं मिलती हैं हाईप्रोफाइल सरकारी अफसरों, राजनयिकों और सरकार के प्रतिनिधियों को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जारी किया जाता है. कुल पांच कैटेगरी के लोगों को इशू किया जाता है. पहला- राजनयिक दर्जा रखने वाले लोग, दूसरा- भारत सरकार के ऐसे वरिष्ठ अधिकारी जो सरकारी काम से विदेश जा रहे हैं, तीसरा- विदेश सेवा (IFS) के ए और बी ग्रुप के अधिकारी, चौथा- विदेश मंत्रालय और IFS की इमीडिएट फैमिली और पांचवां- सरकार की ओर अधिकारिक यात्रा करने वाले व्यक्ति (जिसमें केंद्रीय मंत्री, सांसद, राजनेता आते हैं)

डिप्लोमेटिक पासपोर्ट को भारत का सबसे ताकतवर पासपोर्ट कहा जाता है. जिनके पास यह यह पासपोर्ट होता है, उन्हें ज्यादातर देशों में वीजा की जरूरत नहीं पड़ती. अगर वीजा जरूरी भी है तो आम पासपोर्ट धारकों के मुकाबले फटाफट और प्राथमिकता पर वीजा मिल जाता है. डिप्लोमेटिक पासपोर्ट होल्डर को सिक्योरिटी से लेकर तलाशी तक की छूट होती है.