इंडियन स्पेस एजेंसी श्रीहरिकोटा से GSLV-F15 के जरिए NVS-02 सैटेलाइट लॉन्च किया। जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल 29 जनवरी को सुबह 6:23 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी। इसरो का यह 100वां लॉन्चिंग मिशन है। ISRO ने बताया कि NVS-02 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है। यह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है, जो भारत में GPS जैसी नेविगेशन सुविधा को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम कश्मीर से कन्याकुमारी, गुजरात से अरुणाचल तक का हिस्सा कवर करेगा। साथ ही साथ कोस्टल लाइन से 1500 किमी तक की दूरी भी कवर होगी। इससे हवाई, समुद्री और सड़क यात्रा के लिए बेहतर नेविगेशन हेल्प मिलेगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो (ISRO) की स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई थी। इसक पहला मिशन SLV-3 E1/ रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड के जरिए 10 अगस्त 1979 को लॉन्च किया गया था। तब से 30 दिसंबर 2024 तक SHAR लॉन्चिंग व्हीकल के जरिए 99 मिशन लॉन्च कर चुका है। नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) भारत का इंडिपेंडेंट रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। जिसे भारतीय यूजर को सही पोजीशन, वेलॉसिटी और टाइम (PVT) सर्विस देने के लिए डिजाइन किया गया है। NVS-01/02/03/04/05 सैटेलाइट्स को इन्हीं सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है। NVS-02 इसी NVS सीरीज का दूसरा सैटेलाइट है। इसका वजन 2250 किलो है और पावर हैंडलिंग क्षमता 3 किलोवाट है। NVS-02 सही और सटीक समय का अनुमान लगा सके, इसके लिए इसमें स्वदेशी और आयात की गई रुबिडियम एटॉमिक घड़ियों को लगाया गया है।
GSLV-F15 रॉकेट के माध्यम से नेविगेशन सैटेलाइट NVS-02 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर इसरो ने अपना 100वां मिशन पूरा किया।
यह मिशन भारत की नेविगेशन प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस उपलब्धि के लिए इसरो की पूरी टीम को बधाई। प्रत्येक भारतीय को आप पर गर्व है। @isro pic.twitter.com/9AVo06ACeB
— VD Sharma (@vdsharmabjp) January 29, 2025