BREAKING NEWS : ISRO का ऐतिहासिक कदम, SSLV-D3 किया गया लॉन्च, जाने ख़ास बाते…

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से SSLV-D3/EOS-08 मिशन की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान का सफल प्रक्षेपण कर दिया है. यह मिशन पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट (EOS-08) को ले जा रहा है. इससे पहले पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसैट और जीएसएलवी-एफ14/इनसैट-3डीएस मिशन सफल रहे थे. यह मिशन SSLV की आखिरी डेवलपमेंट फ्लाइट है. यह 34 मीटर लंबा रॉकेट है, जिसे 500 किलोग्राम तक वजन वाले छोटे उपग्रहों को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है SSLV सिर्फ 72 घंटे में तैयार हो जाता है. SSLV को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड एक से लॉन्च किया जाता है अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट यानी EOS-8 पर्यावरण की मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन और तकनीकी डेमॉन्स्ट्रेशन का काम करेगा. 175.5 kg वजनी इस सैटेलाइट में तीन स्टेट-ऑफ-द-आर्ट पेलोड हैं- इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R) और सिक यूवी डोजीमीटर (SiC UV Dosimeter). इसमें EOIR दिन-रात में मिड और लॉन्ग वेव की इंफ्रारेड तस्वीरें लेगा.

इन तस्वीरों से आपदाओं की जानकारी मिलेगी. जैसे जंगल में आग, ज्वालामुखीय गतिविधियां. GNSS-R के जरिए समुद्री सतह पर हवा का विश्लेषण किया जाएगा. मिट्टी की नमी और बाढ़ का पता किया जाएगा. वहीं SiC UV डोजीमीटर से अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की जांच की जाएगी. जिससे गगनयान मिशन में मदद मिलेगी.
EOS-8 सैटेलाइट धरती से ऊपर निचली कक्षा में चक्कर लगाएगा यानी 475 किलोमीटर की ऊंचाई पर. यहीं से यह सैटेलाइट कई अन्य तकनीकी मदद भी करेगा. जैसे इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स सिस्टम. इसके अंदर कम्यूनिकेशन, बेसबैंड, स्टोरेज और पोजिशनिंग (CBSP) पैकेज होता है. यानी एक ही यूनिट कई तरह के काम कर सकता है. इसमें 400 जीबी डेटा स्टोरेज की क्षमता होती है.