हाथी की सवारी के साथ हाथीगांव के लिए मशहूर है जयपुर, देश विदेश से आते हैं सैलानी

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आपने कभी ऐसे गांव के बारे में सुना है। जो सिर्फ हाथियों के लिए बसाया गया हो। ऐसा ही एक गांव जयपुर में बसा है। जैसे हाथी गांव के नाम से जाना जाता है। यहां हाथियों के रहने के लिए मैं सारे प्रबंध किए गए हैं। जिसे देखने देश-विदेश से सैलानी यहां आते हैं।जयपुर के आमेर फोर्ट के पास कुंडा गांव में एलीफेंट विलेज बसा हुआ है। जहां देश-विदेश के पर्यटक हाथी सफारी का आनंद लेने आते हैं। इससे पर्यटक ने केवल सफारी का लुफ्त उठा पाते हैं। बल्कि उन्हें हाथियों की जीवन शैली को पास से जानने का मौका भी मिल रहा है।

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जयपुर में बसाया हाथी गांव दुनिया का तीसरा और भारत का पहला हाथी गांव है। देश का यह एकमात्र हाथी गांव में अपने आप में महत्वपूर्ण है। जिसे केवल हाथियों के लिए बसाया गया है। 100 एकड़ में बसे इस गांव की अपनी अहमियत है। यही वजह है कि इसे देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी यहां आते हैं।

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देश के आजाद होने के बाद जब आमेर फोर्ट को सरकार ने आम लोगों के लिए खोला तो यहां एलीफेंट राइटिंग लोगों के बीच खासी लोकप्रिय हुई। ऐसे में आमेर के पास दिल्ली रोड पर एक गांव को हाथियों को रखने की व्यवस्था के लिए बसाया गया। इसे हाथी गांव का नाम दिया गया। राज्य सरकार ने इस गांव में हाथियों की बढ़ती संख्या देखकर 2008 में इसे हाथी गांव घोषित कर दिया। पहले इस गांव में 110 हाथी थे। लेकिन अभी यहां 85 हाथी है। हाथी गांव देश का एकमात्र ऐसा गांव है। जहां पर असम और केरल के हाथी हैं। इन हाथियों के रहने के लिए अलग-अलग थान बने हुए हैं। एक ब्लॉक में 30 थान है। इस गांव में लगभग 20 ब्लॉक हैं। हाथी की पहचान के लिए हाथी के कान के पास माइक्रोचिप लगाई जाती है। हाथी का नाम और हाथी की पहचान के लिए माइक्रोचिप का सरकारी रजिस्ट्रेशन नंबर फीड होता है।