‘जयशंकर ने मिलाया हाथ, की खातिरदारी’, बिलावल के दौरे पर क्या बोला PAK मीडिया?

राष्ट्रीय

गोवा में 4-5 मई को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का शामिल होना भारत की मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. एक दशक से भी अधिक समय बाद पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री का भारत आना दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है. पाकिस्तान की मीडिया में भी बिलावल भुट्टो के भारत दौरे से जुड़ी हर घटना को प्रमुखता से कवर किया जा रहा है.

डॉन

पाकिस्तान के बड़े अंग्रेजी अखबारों में शामिल डॉन ने बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा पर लिखा है कि ‘ऐतिहासिक यात्रा ने एससीओ बैठक की सारी लाइमलाइट चुरा ली’

अखबार ने अपने एक लेख में लिखा, ‘गुरुवार को विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा पहुंचे और भारत की प्रेस ने दो दिवसीय एससीओ की बैठक में भाग लेने आए बाकी विदेश मंत्रियों को छोड़ बिलावल पर ही अपना फोकस रखा.’

अखबार ने लिखा कि एससीओ बैठक से इतर भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं हो रही है. रिपोर्ट में लिखा गया, ‘क्या बिलावल के अपने भारतीय समकक्ष से मिलने या फिर महज हाथ मिलाने की ही संभावना है? इसे लेकर कोई खबर नहीं है. 12 सालों में पहली बार भारत की यात्रा करने वाले पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा है कि वो मित्र देशों के समकक्षों के साथ रचनात्मक बातचीत की उम्मीद करते हैं.’

अखबार ने अपने एक संपादकीय लेख में लिखा है कि यह यात्रा भारत के साथ बातचीत को कम से कम प्रतीकात्मक रूप से शुरू करने का अवसर प्रदान करती है.

अखबार आगे लिखता है, ‘हालांकि, इस यात्रा से कोई बड़ी उम्मीद नहीं होनी चाहिए क्योंकि एससीओ द्विपक्षीय विवादों के समाधान का मंच नहीं है. लेकिन इससे रिश्तों की कड़वाहट थोड़ी कम हो सकती है. भारत के साथ व्यापार, राजनयिक रिश्ते, सांस्कृतिक रिश्ते वास्तविक रूप से देखें तो ठंडे पड़ गए हैं और इससे दोनों देशों के बीच की खाई और चौड़ी हो गई है. जहां भारत में कुछ लोग तर्क देते हैं कि भारत को पाकिस्तान की दोस्ती की जरूरत नहीं है, कुछ भारतीय इस बात को स्वीकार करते हैं कि क्षेत्र में इस तरह का संघर्ष भारत के हित में नहीं है.’

अखबार लिखता है, ‘भारत ने चीन के साथ सीमा विवाद होने के बावजूद उसके नेतृत्व वाले ब्लॉक में शामिल होने के लिए आवेदन किया था. हमें आशा करनी चाहिए कि जहां सार्क (SAARC- South Asian Association for Regional Cooperation) बुरी तरह विफल रहा है, वहां एससीओ सफल होगा.’

डॉन ने बिलावल भुट्टो को एससीओ का संबोधन भी छापा है जिसमें बिलावल ने कहा है कि सदस्य देश आतंकवाद को डिप्लोमेटिक टूल के रूप में इस्तेमाल न करें.

अखबार ने बिलावल भुट्टो के बयान का हवाला देते हुए लिखा, ‘हमारे लोगों की सामूहिक सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है. डिप्लोमेटिक टूल के रूप में आतंकवाद को हथियार बनाने के जाल में फंसने से हमें बचना चाहिए.’

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश आपसी चिंता के इन मामलों पर चर्चा करने के लिए एससीओ के मंच का इस्तेमाल कर सकते हैं और बातचीत की दिशा में एक नया अध्याय शुरू कर सकते हैं.

अखबार के एक ऑपिनियन लेख में लिखा है, ‘पाकिस्तान और भारत दोनों एक-दूसरे पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और अलगाववादी समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाते हैं. इस संबंध में एससीओ पाकिस्तान और भारत को अपने आतंकवादरोधी तंत्र के दिशानिर्देशों के अनुसार, आतंकवाद और खुफिया जानकारी साझा करने का अवसर प्रदान करता है. इस शिखर सम्मेलन में दो दक्षिण एशियाई प्रतिद्वंद्वियों के बीच बातचीत की नींव रखे जाने की संभावना है.’

ट्रिब्यून ने अपने एक और लेख में लिखा है कि गुरुवार को भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने एससीओ विदेश मंत्रियों के लिए आयोजित डिनर के वक्त हाथ मिलाया और एक-दूसरे का अभिवादन किया. अखबार ने लिखा कि डिनर में मौजूद एक पाकिस्तानी अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है.

अखबार ने लिखा, ‘बिलावल डिनर के लिए वेन्यू में आने वाले आखिरी मंत्री थे. जब वो डिनर के लिए आए तब एस जयशंकर खड़े हो गए और उनसे हाथ मिलाया.’

हालांकि, शुक्रवार को जब बिलावल एससीओ मीटिंग के लिए पहुंचे तब स्वागत के दौरान जयशंकर ने उनसे हाथ नहीं मिलाया बल्कि सिर्फ नमस्ते किया.

अखबार ने आगे लिखा, ‘एससीओ के लिए गए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में शामिल दूसरे अधिकारी ने कहा कि भारत में उनके साथ काफी अच्छे तरीके से बर्ताव किया गया, ठीक वैसे ही जैसे दूसरे सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडल के साथ किया गया.’

लेख में लिखा गया कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री के शामिल होने के कारण गोवा की बैठक को लेकर काफी दिलचस्पी पैदा हो गई है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी का हवाला देते हुए अखबार ने लिखा कि जयशंकर और बिलावल भुट्टो का हाथ मिलाना भी एक सकारात्मक बदलाव के तौर पर देखा जाना चाहिए.

जीयो टीवी

पाकिस्तान के अखबार जियो टीवी ने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच के हवाले से लिखा है कि बिलावल के दौरे में भारत ने पाकिस्तान को शिकायत का कोई मौका नहीं दिया है. भारत ने बिलावल का वैसे ही स्वागत किया, जैसे दूसरे देशों के विदेश मंत्रियों का किया.

पाकिस्तान टूडे

पाकिस्तान टूडे ने लिखा है, ‘बिलावल भुट्टो के भारत यात्रा से दोनों देशों के रिश्ते सुधरने की उम्मीदें कम हैं लेकिन पर्यवेक्षकों का मानना है कि शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान की उपस्थिति का उद्देश्य यह संकेत देना हो सकता है कि जब मध्य एशिया की बात आती है तो पाकिस्तान भारत को और अधिक प्रभाव बढ़ाने का मौका नहीं देना चाहता.’

अखबार ने आगे लिखा, ‘एससीओ का नेतृत्व चीन, रूस कर रहे हैं, और रूस पाकिस्तान का महत्वपूर्ण उभरता हुआ दोस्त है. एससीओ में मध्य एशिया के चार देश भी शामिल हैं – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान. पाकिस्तान मध्य-एशिया को व्यापार, कनेक्टिविटी और ऊर्जा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानता है.’