प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के असम दौरे पर हैं। वे सोमवार शाम गुवाहाटी के सरूसजाई स्टेडियम पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘एक समय था जब देश में असम और पूर्वोत्तर के विकास की उपेक्षा की जाती थी। यहां की संस्कृति को भी नजरअंदाज किया जाता था। लेकिन मोदी खुद पूर्वोत्तर की संस्कृति के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं। असम सरकार ने असम चाय उद्योग के 200 साल पूरे होने पर झुमोइर बिनंदिनी (मेगा झुमोइर) 2025 कार्यक्रम आयोजित किया। पूरे राज्य के चाय बागान के इलाकों से 8600 कलाकारों ने पीएम के सामने झुमोइर नृत्य की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित 60 देशों के मिशन प्रमुख भी शामिल हुए। असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने तीर कमान और चाय जमा करने की टोकरी देकर पीएम का सम्मान किया।
#WATCH | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुवाहटी के सरुसजाई स्टेडियम में चाय बगान आदिवासियों के बीच पहुंचे। झुमोइर बिनंदिनी कार्यक्रम के लिए 8 हज़ार जनजातीय लोगों ने प्रस्तुति दी।
अद्भुत प्रदर्शन, उमंग और रोमांच से भरा संगीत, एक ताल पर झूमते लोग, सभी ने झुमुर के लयबद्ध नृत्य ने एक… pic.twitter.com/lJ2um97b65
— PB-SHABD (@PBSHABD) February 24, 2025
#WATCH असम: स्थानीय कलाकारों ने गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम में ‘झुमोइर बिनंदिनी’ कार्यक्रम में नृत्य प्रस्तुत किया।
असम सरकार ने असम चाय उद्योग के 200 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम आयोजित किया है, जिसमें राज्य भर के चाय बागान क्षेत्रों से 8600 कलाकार झुमोइर… pic.twitter.com/a8gMG8k6HV
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 24, 2025
पीएम मोदी ने कहा – मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जो असम के काजीरंगा में रुककर दुनिया को इसकी जैव विविधता के बारे में बता रहा हूं। कुछ महीने पहले ही हमने असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। असम के लोग दशकों से अपनी भाषा के लिए इस सम्मान का इंतजार कर रहे थे। भाजपा सरकार असम का विकास कर रही है और यहां के चाय किसानों की सेवा भी कर रही है। बागानों में काम करने वाले श्रमिकों की आय बढ़नी चाहिए। इस दिशा में असम चाय निगम के श्रमिकों के लिए बोनस की भी घोषणा की गई है। बागानों में काम करने वाली हमारी बहनें और बेटियां गर्भावस्था के दौरान आय के संकट से जूझती थीं। आज ऐसी लगभग 15 लाख महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान 15 हजार रुपए की सहायता दी जा रही है ताकि उन्हें खर्च की चिंता न करनी पड़े।