‘कबाड़ से जुगाड़’ और तैयार कर दी महात्मा गांधी की मूर्ति, लोग बोले- इतनी डरावनी?

राष्ट्रीय

उत्तर प्रदेश के मेरठ में नगर निगम की ओर से एक अभियान चलाया गया, जिसका नाम “कबाड़ से जुगाड़” रखा गया. इस अभियान में नगर निगम के कबाड़ से कलाकृतियां तैयार कर मेरठ के चौराहों पर रखा गया. मेरठ के नगर निगम के इस अभियान की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने प्रोग्राम मन की बात में की थी. लेकिन इसी बीच एक विवाद आ खड़ा हुआ.

दरअसल, मेरठ में कई कलाकृतियां कबाड़ से बनाकर लगाई गईं जिसकी लोगों ने काफी सराहना भी की. मेरठ में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी का स्टैच्यू कबाड़ से तैयार करके कमिश्नरी चौराहे पर कमिश्नर ऑफिस के बाहर लगा दिया गया. कुछ लोगों को यह बात काफी नागवार गुजरी. उनका मानना था कि महात्मा गांधी का जो स्टैच्यू बनाया गया है वो काफी डरावना है.

लोगों की आपत्ति के बाद मेरठ नगर निगम ने इस स्टैच्यू को हटा लिया. उनका कहना है कि फीडबैक लेने के लिए स्टैचू लगाया गया था. इसको और बेहतर बनाने का सुझाव मिला. इसलिए स्टैच्यू को हटा लिया गया है. इसको और बेहतर करके दोबारा वहां स्थापित किया जाएगा.

दरअसल मेरठ नगर निगम क्षेत्र में चौराहों का सौंदर्यीकरण किया गया था जिसमें नगर निगम के सभी पुराने स्क्रैप को सौंदर्यकरण करने के लिए प्रयोग किया गया है. चाहे उसमें पुराने टायर हों, पुराना प्लास्टिक का स्क्रैप हो, लोहे का स्क्रैप हो या पुराने ड्रम हों. चौराहों के सौंदर्यीकरण के लिए सभी पुरानी चीजों का इस्तेमाल किया गया है जो बेकार हो चुकी थीं.

क्या बोले अपर नगर आयुक्त?

मेरठ नगर निगम के अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार का कहना है हमारे पास जो भी स्क्रैप था उसको हम कैसे यूटिलाइज करें और कम पैसे में उसका बेहतर उपयोग कर सके इसके लिए कबाड़ से जुगाड़ एक अभियान चलाया गया. जैसे मेरठ की रोड पर डिवाइडर में रेलिंग में साइकिल के पुराने पहिए लगाए गए हैं. मेरठ में कई फाउंटेन भी तैयार किए गए हैं.

उसी में गांधी जी का चरखा भी बनाया गया है और इसी के तहत जगह-जगह काम किया जा रहा है, जिसकी प्रशंसा भी हो रही है. लेकिन महात्मा गांधी के स्टैच्यू को लेकर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई. हमने स्टैच्यू वहां से हटवा दिया है. लेकिन उसे ठीक करके दोबारा वहां लगाया जाएगा.