हिजाब से पहले गणपति केस में भी अलग-अलग था जस्टिस गुप्ता और जस्टिस धुलिया का फैसला

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कर्नाटक हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट से आया फैसला विभाजित रहा है. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब पर बैन लगाने के राज्य सरकार के फैसले को सही माना है तो जस्टिस सुंधांशु धूलिया ने राज्य सरकार के इस फैसले को गलत करार दिया है और इस आदेश को रद्द कर किया है.

ध्यान देने वाली बात ये है कि इन दोनों जजों की पीठ के बीच मतभेद वाला ये फैसला पहला नहीं है. करीब महीने भर के भीतर ये दूसरा बड़ा धार्मिक मामला है जिसमें दोनों की राय अलग है. इस बार भी नतीजा वही हुआ और मामला बड़ी बेंच को भेजा गया.

खास बात ये भी है कि ये दोनों ही मामले कर्नाटक से जुड़े थे. दोनों मामले धर्म और समाज से जुडे़ थे. पहला मामला गणपति उत्सव के आयोजन स्थल का था तो दूसरा हिजाब पर पाबंदी का है.

गणपति पूजा पर दे चुके हैं अलग अलग फैसला

गणपति उत्सव के आयोजन स्थल पर हुए विवाद के मामले में हाल ही में दोनों जजों का फैसला एक दूसरे से अलग था. बता दें कि बेंगलुरु के चामराजपेट के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की परमिशन देने पर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई थी. ये अनुमति पहले सरकार ने दी थी बाद में हाईकोर्ट ने इस अनुमति पर मुहर लगाई थी.

इस फैसले के खिलाफ कर्नाटक वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट गई थी. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच कर रही थी. 30 अगस्त, 2022 को वक्फ बोर्ड द्वारा दायर याचिका के मामले में इन दोनों जजों की राय विभाजित रही थी.

ईदगाह मैदान में पूजा के पक्ष में थे जस्टिस गुप्ता, जस्टिस धूलिया का फैसला था अलग

जस्टिस हेमंत गुप्ता हाईकोर्ट के आदेश को बनाए रखने के इच्छुक थे लेकिन जस्टिस धूलिया इसके खिलाफ थे. इसके बाद इस मामले को उसी दिन सीजेआई ने 3 जजों की पीठ के पास भेजा. जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने गणेश चतुर्थी समारोह विवादित मैदान में आयोजित करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.

अब एक बार फिर से कर्नाटक से जुड़े इस मामले पर इन दोनों जजों की राय अलग अलग आई है.

कानूनी और संवैधानिक मुद्दों पर अलग राय रखने वाली ये पीठ अब सिर्फ एक दिन तक और रहेगी. बता दें कि जस्टिस हेमंत गुप्ता का शुक्रवार को अंतिम कार्यदिवस है. वो 16 अक्तूबर यानी कि रविवार को रिटायर हो रहे हैं.

आइए जानते हैं CJI सुधांशु धूलिया और हेमंत गुप्ता के बारे में.

कौन हैं जस्टिस सुधांशु धूलिया?

जस्टिस धूलिया का जन्म 10 अगस्त 1960 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. पिता केशव चंद्र धूलिया इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज थे. उनके दादा भैरव दत्त धूलिया स्वतंत्रता सेनानी थे. इसलिए बचपन से ही पढ़ाई पर जोर रहा. शुरुआती स्कूलिंग देहरादून में हुई लेकिन कुछ वक्त बाद ही लखनऊ के सैनिक स्कूल में दाखिला ले लिया. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ में बैचलर डिग्री प्राप्त की.

अभिनेता तिग्मांशु धूलिया के बड़े भाई हैं जस्टिस सुधांशु धूलिया

सुधांशु धुलिया साल 1986 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में बार में शामिल हुए. साल 2000 में अपने गृह राज्य उत्तराखंड हाई कोर्ट में पहले मुख्य स्थायी वकील बने. बाद में उत्तराखंड राज्य के लिए एक अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे. साल 2004 में उन्हें एक सीनियर एडवोकेट के रूप में नोमिनेट किया गया था. वहीं, चार साल बाद नवंबर 2008 में वे उत्तराखंड हाई कोर्ट के जज बने गए. 2008 से 10 जनवरी 2021 तक असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश हाई कोर्ट में जज के पद पर रहे. हाल ही में 09 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने सुधांशु धूलिया को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ दिलाई थी. शायद कम ही लोग जानते होंगे कि मशहूर फिल्म निदेशक और अभिनेता तिग्मांशु धूलिया उनके छोटे भाई हैं.

कौन हैं जस्टिस हेमंत गुप्ता?

जस्टिस हेमंत गुप्ता का जन्म 17 अक्टूबर 1957 हुआ था, वे लॉ में प्रोफेशनल्स परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके दादा एक प्रमुख सिविल वकील थे, जिन्होंने 65 वर्ष की आयु में स्वेच्छा से प्रैक्टिस छोड़ दी थी. उनके पिता साल 1991 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे.

जस्टिस हेमंत गुप्ता को जुलाई 1980 में एक वकील के रूप में नोमिनेट किया गया और जिला न्यायालय में प्रारंभिक कुछ साल बिताने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की. 1997 से 1999 तक उन्होंने पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी काम किया.

जुलाई 2002 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जज बने. 10 से ज्यादा साल तक कंप्यूटर समिति, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सदस्य रहे. फरवरी 2016 को पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया और 29 अक्टूबर 2016 को उस उच्च न्यायालय के एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त हुए. 18 मार्च 2017 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए. और 02 नवंबर 2018 को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में जज बने. 65 वर्ष की उम्र में जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर 2022 को रिटायर होने वाले हैं. बता दें कि हाई कोर्ट में जज 62 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्ति होते हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट के जज 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं.