अमेरिका के राष्ट्रपित जो बाइडेन ने मास्टरकार्ड के पूर्व CEO अजय बंगा को वर्ल्ड बैंक का प्रमुख नॉमिनेट किया है. वर्ल्ड बैंक के वर्तमान अध्यक्ष डेविड मलपास द्वारा जल्द पद छोड़ने की योजना की घोषणा के कुछ दिनों बाद अजय बंगा का नाम इस पद के लिए चुना गया है. अजय बंगा भारत में जन्मे ऐसे पहले शख्स हैं, जिन्हें वर्ल्ड बैंक के मुखिया के रूप में नॉमिनेट किया गया है. उनकी इस उपलब्धि से इंडिया में उनके परिवार में भी खुशियां मनाई जा रही हैं. आइए- यहां जानें कि अजय बंगा का भारत से कैसा रिश्ता है. उन्होंने कहां से पढ़ाई की और उनके पास कौन-कौन सी डिग्रियां हैं.
कौन हैं अजय बंगा?
63 वर्षीय अजय बंगा, एक भारतीय-अमेरिकी हैं जो फिलहाल इक्विटी फर्म जनरल अटलांटिक में वाइस चेयरमैन के रूप में कार्यरत हैं. उनका जन्म महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. अजय बंगा की स्कूलिंग हैदराबाद पब्लिक स्कूल से हुई है. तब उनके पिता हरभजन सिंह बंगा सेना में अफसर थे और 1970 में हैदराबाद में ही तैनात थे. स्कूली पढ़ाई करने के बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. डीयू के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बैचलर डिग्री प्राप्त की इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अहमदाबाद (IIM) से प्रबंधन की पढ़ाई की.
30 साल से ज्यादा का अनुभव
अजय बंगा के पास 30 साल से ज्यादा का कारोबारी अनुभव है. अजय बंगा मास्टकार्ड में प्रेसिडेंट और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पद के साथ-साथ बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के भी सदस्य थे. उन्होंने अगस्त 2009 में मास्टकार्ड ज्वॉइन किया था और 2010 अप्रैल में प्रेसिडेंट और CEO बने थे. इससे पहले वे सिटीग्रुप एशिया-पैसिफिक रीजन के सीईओ थे. जहां उन्होंने सीईओ के अलावा इंस्टीट्यूशनल बैंकिंग, अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट, वेल्थ मैनेजमेंट, कंज्यूमर बैंकिंग समेत कई बड़ी जिम्मेदारियां संभाली. वे सिटीग्रुप में सीनियर लीडरशिप और एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य भी थे.
1996 में सिटीग्रुप में शामिल होने से पहले बंगा ने नेस्ले, भारत के साथ 13 साल तक काम किया और पेप्सिको में भी दो साल बिताए. इसके अलावा उन्होंने अमेरिकन रेड क्रॉस, क्राफ्ट फूड्स और Dow Inc. में काम किया है. उनकी सामाजिक विकास के मुद्दों में गहरी दिलचस्पी है. उन्होंने पहले एंटरप्राइज कम्युनिटी पार्टनर्स और नेशनल अर्बन लीग के ट्रस्टियों के बोर्ड में काम किया और न्यूयॉर्क हॉल ऑफ साइंस के ट्रस्टी बोर्ड के वाइस चेयरमैन थे. वह आर्थिक शिक्षा परिषद के निदेशक भी थे. इसके अलावा, 2005 से 2009 तक, उन्होंने दुनिया भर में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में सिटी की रणनीति का नेतृत्व किया.