गुजरात : सूरत में एक आदमखोर तेंदुए को उम्रकैद कैद की सजा सुनाई गई है। सूरत जिले के मांडवी से पकड़ा गया आदमखोर तेंदुआ झांखवाव के पुनर्वास केंद्र का पहला कैदी बना और अब वह अपना शेष जीवन एक कैदी के रूप में बिताएगा। सूरत जिले में फिलहाल तेंदुओं की संख्या 150 पर पहुंची है। बीते छह महीने में इंसानों पर हमले की तीन घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमें तीन लोगों की मौत हुई है। हालांकि, जब भी तेंदुआ आदमखोर बनता है। तब उसे पुनर्वास केंद्र भेजा जाता है। दक्षिण गुजरात में अब तक ऐसा केंद्र नहीं था। सभी को वडोदरा भेजा जाता था। पहली बार इस आदमखोर तेंदुए को सूरत जिले में ही हिंसक जानवरों के लिए बने पुनर्वास केंद्र में लाया गया है।
दिवाली के दौरान मांडवी के एक छोटे से गांव में एक दुखद घटना घटी. सात साल के अजय वसावा पर एक तेंदुआ ने हमला कर दिया, जिसके कारण उसकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई. इस घटना के बाद वन विभाग के अधिकारियों को जानकारी मिली और उन्होंने इलाके में एक पिंजरा भेजा. शिकार की तलाश में तेंदुआ फिर से वहां पहुंचा और जैसे ही वह पिंजरे में रखी मारक दवा के पास आया, वह उसमें फंस गया.
इस तेंदुए को पकड़कर गुजरात के पहले पुनर्वास केंद्र में रखा गया, जो अब राज्य में हिंसक पशुओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया है. यह तेंदुआ इस केंद्र का पहला कैदी है, और अब उसे अपनी पूरी जिंदगी इस पुनर्वास केंद्र में ही बितानी होगी. दक्षिण गुजरात के जंगलों में तेंदुओं की संख्या बढ़ने लगी है, और वे शिकार की तलाश में मानव बस्तियों के पास आने लगे हैं. इन तेंदुओं के हमले पहले कुत्तों और पालतू जानवरों पर होते थे, लेकिन अब वे इंसानों पर भी हमला करने लगे हैं. इस कारण से ऐसे हमलावर तेंदुओं की घटनाएं बढ़ रही हैं. पहले अगर आदमखोर तेंदुए पकड़े जाते थे, तो उन्हें वडोदरा भेजा जाता था, क्योंकि दक्षिण गुजरात में कोई पुनर्वास केंद्र नहीं था. लेकिन अब मांडवी में 1.50 करोड़ रुपये की लागत से तेंदुआ पुनर्वास केंद्र तैयार किया गया है, जिसमें 10 तेंदुओं को रखने की पर्याप्त क्षमता है