छत्तीसगढ़ के जंगलों में तेंदुए के संरक्षण को लेकर दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। उन्होंने वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। डिवीजन बेंच ने कहा कि प्रदेश के वन क्षेत्र में विचरण करने वाले वन्यप्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण की चिंता पहले करें। उनकी रक्षा करना हमारा धर्म है। कोर्ट में वन विभाग ने स्वीकार किया कि जब भी इस तरह की समस्या आती है, तो विभाग तेंदुए को पकड़कर सघन वन क्षेत्र में छोड़ देता है। रेडियो कॉलर भी नहीं लगाया जाता। मामले में डिवीजन बेंच ने वन विभाग को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। वहीं याचिकाकर्ता ने बताया है कि 4 साल में 175 तेंदुए कम हो गए हैं। तेंदुए के साथ ही वन्यप्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर रायपुर के समाजसेवी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
याचिका में केंद्र सरकार की गाइड लाइन का हवाला दिया है, जिसके मुताबिक सबसे पहले वन विभाग के अफसरों को उस तेंदुए की पहचान करनी है, जिससे रहवासियों को समस्या हो सकती है। उसे पकड़कर रेडियो कॉलर लगाना है और ऐसे वन क्षेत्र जो उनके रहवास के लिए अनुकूल है, वहां छोड़ देना है।
तेंदुए रहवास वाले वन क्षेत्र बहुत ज्यादा लगाव रखते हैं। अगर उन्हें दूर छोड़ा जाता है, तो वो वापस अपने रहवास वाले वन क्षेत्र में लौट आते हैं।