शराब घोटाला : लखमा जेल में रहेंगे, HC बोला-गवाह प्रभावित कर सकते हैं, गंभीर अपराध में नहीं मिलेगी बेल

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में जेल में बंद पूर्व मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। हाईकोर्ट ने माना है कि लखमा जमानत मिलने के बाद सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में गंभीर अपराध में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती. वर्ष 2019 से 2023 तक कवासी लखमा छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री रहे। उन पर आरोप है कि उन्होंने एफएल-10ए लाइसेंस नीति लागू कर अवैध शराब व्यापार को बढ़ावा दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) का दावा है कि लखमा को हर महीने शराब सिंडिकेट से 2 करोड़ रुपए मिलते थे। इस तरह 72 करोड़ रुपए की अवैध कमाई का आरोप है।

15 जनवरी को ED ने कवासी लखमा को गिरफ्तार किया। इसके बाद से वे रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। लखमा ने दावा किया कि यह सब राजनीतिक साजिश का हिस्सा है और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। गंभीर आर्थिक अपराधों में जमानत मिलना आसान नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों बार-बार कह चुके हैं कि जब तक सबूत सुरक्षित न हों और जांच पूरी तरह निष्पक्ष न हो, तब तक जमानत देने से बचना चाहिए। लखमा का मामला भी इसी श्रेणी में आता है।

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