छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में ED ने बड़ा खुलासा किया है। ED ने बताया कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। इनसे शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। ED ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया। शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। फिलहाल कवासी लखमा 21 जनवरी तक ED की रिमांड पर हैं। मंगलवार को 7 दिन की कस्टोडियल रिमांड खत्म हो रही है। लखमा को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां ED रिमांड या तो न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने की मांग कर सकती है।
लखमा ने कई पेपर में सोच समझकर हस्ताक्षर किए है और जो समझ में नहीं आया उसे लखमा को सम्पूर्ण पूर्ण से समझाया गया जिसके बाद ही फाइल को आगे बढ़ाया गया। अपने बयान में बार बार पलटी मारने के बआवजूद ED अफसरों ने सम्पूर्ण सच्चाई पूर्व मंत्री लखमा से उगलवा लिए। कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओ की अभी भी चखना दुकान (अहाता) चलना बताया गया। जो भूपेश सरकार के समय कुछ कांग्रेसी विधायक अपना कारोबार समर्थक को जरिया बनाकर करते थे।