जनधन खाता खुलवा रखा है तो मिनिमम बैलेंस को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साफ शब्दों में कह दिया है कि जनधन खातों में न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा बेसिक सेविंग अकाउंट में भी मिनिमम बैलेंस रखने को लेकर कोई बाध्यता नहीं है. बताया कि बैंक केवल उन मामलों में जुर्माना लगाते हैं जहां ग्राहक अपने उन बैंक खातों में अपेक्षित राशि बनाए रखने में विफल रहते हैं, जिसमें पहले मिनिमम बैलेंस को लेकर नियम निर्धारित है सीतारमण ने बताया कि बैंकों द्वारा पेनॉल्टी की बात की जा रही है, जो कि पीएम जनधन खातों और गरीब लोगों के लिए मूल खातों पर लागू नहीं होता है. बैंक ने जो पेनॉल्टी वसूले हैं वो अलग खाते हैं, और उसमें न्यूनतम शेष राशि की अपेक्षा की जाती है, नहीं रखने पर बैंक एक चार्ज वसूलता है. लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात सामने आई कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्त वर्ष 2019-20 से शुरू होने वाले पांच वर्षों में इस मद में लगभग 8,500 करोड़ रुपये जुटाए.
वहीं वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी पिछले महीने लोकसभा को सूचित किया था कि राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों ने वित्त वर्ष 24 में औसत मासिक न्यूनतम शेष राशि बनाए नहीं रखने के लिए जमाकर्ताओं से 2,331 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि महिला जनधन खातों की संख्या कुल जनधन खातों का 55.6 फीसदी है. इसके अलावा महिला-जनधन खाताधारकों के अकाउंट में करीब 29.37 करोड़ रुपये जमा हैं. इस बीच पीएम जनधन अकाउंट (Jan Dhan Account) को लेकर एक नया अपडेट सामने आया है. देश में पीएम जनधन अकाउंट की संख्या बढ़कर 52.81 करोड़ हो गई है, तो वहीं अकाउंट में जमा राशि 2,30,792 करोड़ रुपये (यानी लगभग 2.3 लाख करोड़ रुपये) है.