मणिपुर : राष्ट्रपति शासन के खिलाफ इंफाल में प्रदर्शन, चुनाव की मांग को लेकर राजभवन घेरने पहुंचा मैतेई संगठन

मणिपुर में 13 फरवरी से लागू राष्ट्रपति शासन के खिलाफ इंफाल में मैतेई संगठन COCOMI ने राजभवन का घेराव किया। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने राजभवन में घुसने की कोशिश की, जिसके चलते सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को एम सेक्टर गेट के पास रोक दिया। प्रदर्शनकारी मणिपुर के राज्यपाल से ग्वालथाबी की घटना के लिए माफी की मांग कर रहे थे। इस दौरान 7 प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं हैं। उन्हें रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मैतेई समूहों के निकाय COCOMI का 7 सदस्यों वाला प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को दिल्ली में गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात करेगा। साथ ही मणिपुर की मौजूदा स्थिति और ग्वालताबी में सरकारी बस पर राज्य का नाम छिपाने को लेकर विवाद पर चर्चा करेगा। संयोजक खुरैजम अथौबा ने बताया कि मणिपुर अशांत दौर से गुजर रहा है, लोकप्रिय सरकार की जरूरत है। लोकप्रिय सरकार स्थानीय लोगों के मूल्यों और लोकाचार को समझती है। अथौबा ने इंफाल में घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे निहत्थे लोगों पर सुरक्षा कर्मियों द्वारा बल के प्रयोग पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “निहत्थे नागरिकों, जिनमें से कई बुजुर्ग महिलाएं थीं, के खिलाफ इस तरह के आक्रामक नियंत्रण का इस्तेमाल बेहद चिंताजनक है। जो एक लोकतांत्रिक और संवेदनशील प्रशासन के लिए गलत है। इस दौरान कई महिला प्रदर्शनकारियों को चोट लगना मंजूर नहीं।”

मणिपुर में 20 मई को यह विवाद तब सामने आया। जब इंफाल ईस्ट के ग्वालथाबी चेकपोस्ट पर सुरक्षा बलों ने पत्रकारों को ले जा रही मणिपुर राज्य परिवहन की बस को रोका और बस पर लिखे मणिपुर शब्द को ढकने कहा। यह बस पत्रकारों को उखरुल में चल रहे शिरुई लिली फेस्टिवल की कवरेज के लिए ले जा रही थी। इसे मणिपुर की क्षेत्रीय पहचान पर आघात मानते हुए, मैतेई समुदाय के संगठन कोकोमी ने विरोध दर्ज कराया। COCOMI ने इसके विरोध में 48 घंटे का बंद बुलाया, जिससे इंफाल घाटी के 5 जिलों में जनजीवन प्रभावित हुआ।

 

 

 

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