विदेशी मुद्रा की कमी और महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान में अब देश के युवा भी नहीं रहना चाह रहे हैं. एक सर्वे के मुताबिक, देश के 67 प्रतिशत युवा देश छोड़ना चाहते हैं. पिछले सर्वे में यह आंकड़ा 62 प्रतिशत था.
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (पीआईडीई) के वरिष्ठ शोध अर्थशास्त्री डॉ. फहीम जहांगीर खान का कहना है कि देश के 67 प्रतिशत युवा विदेशों में बेहतर अवसर की तलाश में पाकिस्तान छोड़ना चाहते हैं. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में 31 प्रतिशत शिक्षित युवा बेरोजगार हैं.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर बहस और चर्चा के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम ‘इकोनफेस्ट’ में बोलते हुए फहीम खान ने सरकार से इस समस्या का समाधान खोजने के लिए युवाओं के मुद्दों पर जोर देने के लिए कहा है.
कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में 200 से अधिक विश्वविद्यालय हैं, जो हजारों छात्रों को डिग्री दे रहे हैं. लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है. क्योंकि डिग्री रोजगार की गारंटी नहीं है. नियोक्ता थ्योरी के बजाय स्किल्स की मांग करते हैं. इसलिए शिक्षकों के साथ-साथ सरकार को भी इस ओर ध्यान देना जरूरी है.
देश की खराब आर्थिक स्थिति और बेहतर अवसर की कमी एक कारण
सर्वे के अनुसार, पाकिस्तान छोड़ने की इच्छा 15 से 24 वर्ष की आयु के युवाओं में सबसे ज्यादा है. सर्वे में शामिल युवाओं ने देश छोड़ने का सबसे बड़ा कारण देश का आर्थिक स्थिति और बेहतर अवसर की कमी बताया है. पिछले सर्वे में 62 प्रतिशत युवाओं ने संकेत दिया था कि वे देश छोड़ना चाहते हैं.
इकोनफेस्ट में बोलते हुए एक अन्य वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ दुर्रे नायब का कहना है कि पाकिस्तान में एक अजीब स्थिति है. हम लोगों का इंटरव्यू लेते हैं लेकिन सही उम्मीदवार नहीं मिल पाते हैं. वहीं, दूसरी ओर सही उम्मीदवारों को रोजगार नहीं मिल पाता है. उन्होंने कहा कि शिक्षक युवाओं को जरूरत के हिसाब से शिक्षा नहीं दे रहे हैं यहां तक कि हर साल अपने लेक्चर के लिए वही पुराने नोट्स दोहरा रहे हैं.
शहबाज सरकार की आलोचना
पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट ‘डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम में शामिल एक अन्य पैनलिस्ट डॉ. नदीमुल हक ने कहा कि पाकिस्तान एक बीमारी का सामना कर रहा है और आईएमएफ बहुत कम मदद कर रही है.
शहबाज सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि जब उन्होंने कायद-ए-आज़म विश्वविद्यालय के नजदीक इस्लामाबाद में इंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने की कोशिश की, तो सरकार ने सभी छोटे व्यवसायों और विक्रेताओं को हटा दिया.