भोपाल : मध्यप्रदेश में 74 वां संविधान संशोधन लागू होने के बाद शुरू हुए नगरीय निकाय चुनाव में पहली बार भाजपा की शहर सरकार बनाने में मुस्लिमों ने ऐतराज नहीं किया है. प्रदेश में 6671 पार्षदों में से 380 मुस्लिमों को टिकट दिया, जिनमें 92 ने विजय हासिल की है.
संविधान संशोधन के बाद सबसे पहले 1994 में नगरीय निकाय चुनाव हुए थे. इसके बाद हाल ही में छटवीं बार निकाय चुनाव संपन्न हुए है. भोपाल, इंदौर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में भाजपा पर मुसलमानों ने भरोसा नहीं जताया है. जबकि छोटे शहरों में तस्वीर इससे उलट है. यहां भाजपा के 25 मुस्लिम पार्षदों ने कांग्रेस के द्वारा चुनाव लड़े हिंदू उम्मीदवारों को हराया. 2 निर्विरोध रहे. 209 निकायों में मुस्लिम उम्मीदवार हार गए, लेकिन वे दूसरे नंबर पर रहे. यह स्थिति तब है जबकि पहली बार मध्यप्रदेश में असद्दुदीन औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी चुनाव लड़ा है.
छोटे शहरों में यहां जीते भाजपा के मुस्लिम प्रत्याशी
उज्जैन के भाजपा की आबिदा बी ने कांग्रेस की वैशाली को हरा दिया. छतरपुर में अकरम खान और अनीषा खान निर्विरोध जीते. वहीं, कटनी में मो. अयाज ने कांग्रेस के मोहनलाल को हराया. अनूपपुर में भाजपा के अब्दुल कलाम ने कांग्रेस के अशोक त्रिपाठी को शिकस्त दी. ग्वालियर,खंडवा, बुरहानपुर में 4-4, छतरपुर, टीकमगढ़, खंडवा, देवास, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर में 2-2 उम्मीदवार जीते.
इसलिए जीते मुस्लिम प्रत्याशी
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक कांग्रेस ने सिर्फ बड़े शहरों पर फोकस किया. इसके चलते छोटे शहरों में प्रत्याशी कमजोर पड़ गए. जबकि इसके उलट भाजपा ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी. साथ ही भाजपा का हिंदू वोट बैंक पूरी तरह उसके साथ रहा. इसलिए जहां मुस्लिम प्रत्याशी भी खड़े हुए तो हिंदू वोटर्स ने उसका साथ दिया. जबकि कांग्रेस के हिंदु प्रत्याशी हिंदू वोट भी नहीं ले पाए.
कांग्रेस ने भी इस बार सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दी
कांग्रेस ने वर्ष 2014 की तुलना में इस बार नगरीय निकायों में ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया. 2014 में करीब 400 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में थे. जबकि इस बार कांग्रेस ने 450 मुस्लिम उम्मीदवारों को पार्षद का टिकट दिया था. इनमें से 344 ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशियों ने भोपाल, इंदौर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में अच्छा प्रदर्शन किया. साथ ही बुरहानपुर में कांग्रेस की एकमात्र मुस्लिम मेयर उम्मीदवार भी करीबी अंतर से चुनाव जीतने में चूक गईं.