Navratri 2023 Day 6: मां कात्यायनी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती, भोग और पावन व्रत कथा

धर्म

मां कात्यायनी से जुड़े रोचक तथ्य
जानकारी के मुताबिक कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे. उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए. इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे. जिन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी. उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें. मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली.

कुछ काल पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत अधिक बढ़ गया था, तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज़ का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को प्रकट किया. महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की, और देवी इनकी पुत्री कात्यायनी कहलाईं.

मां कात्यायनी की सही पूजा विधि

सर्वप्रथम स्नान करें, और शुद्ध वस्त्र पहनें. इसके बाद पूजा के लिए मंदिर में स्थान तैयार करें. फिर एक चौकी पर लाल फाते वस्त्र बिछाएं, और उस पर मां कात्यायनी की मूर्ति रखें, और दीपक जलाएं. इसके अलावा घर के अंदर मंदिर के बाहर आरती करें. धूप, अक्षत, फूल, और मिठाई उपहार के रूप में प्रस्तुत करें. मां कात्यायनी को ध्यान में रखते हुए अपने मन में शक्ति, और संकल्प की भावना उत्पन्न कर मंत्र जप करें.

माता जी की पूजा का शुभ मुहूर्त
मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह सुबह 6:20 से सुबह 8:20 बजे तक रहेगा.इस शुभ मुहूर्त में माँ कात्यायनी की पूजा करने से उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं. पूजा से पूर्व शुभ मुहूर्त की जांच अवश्य करें और विधि का ध्यानपूर्वक पालन करें. मां कात्यायनी का पसंदीदा रंग ग्रे है. इसलिए भक्त शक्ति, सुख और समृद्धि की देवी को प्रसन्न करने के लिए ग्रे रंग पहन सकते हैं.

मां कात्यायनी के लिए भोग-मंत्र

भक्त मां कात्यायनी को धनिया, चने, गुड़, दूध, मिष्ठान्, का भोग लगा सकते हैं. जबकि उनकी स्तुति के लिए मंत्र कुछ ऐसा है:

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

मां कात्यायनी की चर्चित आरती 

जय कात्यायनी माता

सुख सृष्टि में पाए

जो तुमको ध्यान

जय कात्यायनी माता

आदि अनादि अनामया

अविचल अविनाशी

अटल अनंत अगोचर

अज आनंद राशि

जय कात्यायनी माता

लाल ध्वजा नभ चुमत

मंदिर पे तेरे

जगमग ज्योति माँ जगती

भक्त रहे घेरे

जय कात्यायनी माता

केसत चित्त सुख दायी

शुद्ध ब्रह्म रूप

सत्य सनातन सुंदर

शक्ति स्वरूपा

जय कात्यायनी माता

दसवे दानव दुर्गा

नाना शास्त्र कारा

अष्ट मात्रा की योगिनी

नव नव रूप धारा

जय कात्यायनी माता

महिषासुर संघरिणी

दुर्गुण सबि हारो

दोष विकार मिटके

पवन हमे करो

जय कात्यायनी माता

छटे नवरात्रि को जो

पूजे तुम्हें माई

उसे दयामयी मां

तेरी कृपा पाई

जय कात्यायनी माता

हम अति दीन दुखी है

कृपा जरा करिए

हैं मां दोष बहुत पर

आप न ध्यान दरिए

जय कात्यायनी माता

हे कात्यायनी मैय्या

आरती तेरी गाते

ना धन चाहे ना सोना

प्यार तेरा चाहते

जय कात्यायनी माता

जय कात्यायनी माता

सुख सृष्टि में पाए

जो तुमको ध्यान

जय कात्यायनी माता।