शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है. जिनकी पूजा से व्यक्ति को बल और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कूष्मांडा का अभिप्राय कद्दू से होता है. कद्दू एक ऐसी सब्जी होती है, जिसके भीतर कई बीज होते हैं और खास बात यह कि उनमें ढेर सारे कद्दू को पैदा करने की शक्ति समाहित होती है. हिंदू मान्यता के अनुसार जिस प्रकार कद्दू में जीवनी शक्ति को बढ़ाने की ताकत होती है, उसी प्रकार देवी कूष्मांडा की पूजा करने पर साधक के भीतर शक्ति या फिर कहें ऊर्जा में वृद्धि होती है
देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप मानी जाने वाली मां कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली हैं और उन्होंने इसमें बाण, चक्र, कमल, अमृत कलश, गदा और कमंडल धारण कर रखा है. मां कूष्मांडा शेर की सवारी करती हैं और इनका निवास सूर्य लोक में माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य लोक में निवास करने की क्षमता सिर्फ माता कूष्मांडा में ही है और इनकी पूजा करने पर जो पुण्यफल प्राप्त होता है, उससे साधक की किस्मत सूर्य की तरह चमकने लगती है.
नवरात्रि में देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूप की पूजा में मंत्र जप का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है, ऐसे में देवी कूष्मांडा की पूजा में उनके मंत्र ‘ॐ कूष्माण्डायै नम: का अधिक से अधिक जप करना चाहिए. मान्यता है कि मां कूष्मांडा की पूजा में इस उपाय को करने पर कुंडली में स्थित केतु ग्रह से जुड़े दोष भी दूर हो जाते हैं