राज्यसभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को उप-सभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया है। उप-सभापति ने कहा कि यह नोटिस विपक्ष का गलत कदम है, जिसमें बहुत खामियां हैं और जो सिर्फ सभापति की छवि खराब करने के मकसद से लाया गया है। उन्होंने अपने जवाब में कहा कि महाभियोग का नोटिस देश के संवैधानिक संस्थानों को बदनाम करने और वर्तमान उपराष्ट्रपति की छवि धूमिल करने की साजिश का हिस्सा है। संसद के शाीतकालीन सत्र के 10वें दिन (10 दिसंबर) विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी पीसी मोदी को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। पीसी मोदी ने ही आज उप-सभापति का जवाब सदन में रखा। खड़गे बोले- सभापति धनखड़ स्कूल के हेडमास्टर जैसे व्यवहार करते हैं राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक ने 11 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं।
सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं।
इस प्रस्ताव को खारिज करने का मुख्य कारण यह था कि इसे पेश करने के लिए निर्धारित 14 दिन का नोटिस नहीं दिया गया था, जो इस प्रकार के प्रस्तावों के लिए अनिवार्य है। इसके साथ ही, सभापति ने कहा कि नोटिस में उपराष्ट्रपति का नाम भी सही तरीके से नहीं लिखा गया था। इस फैसले के बाद विपक्षी दलों को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि उनकी कोशिशों को एक तकनीकी पहलू के कारण असफल कर दिया गया।
विपक्ष ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर राज्यसभा में बड़ा मुद्दा उठाने की कोशिश की थी। पिछले कुछ समय से राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी का माहौल बना हुआ था। विपक्ष का आरोप था कि धनखड़ ने सत्ता पक्ष के पक्ष में झुकाव दिखाया है और उन्होंने सदन की कार्यवाही में निष्पक्षता बनाए रखने में विफलता दिखाई है। हालांकि, उपराष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह अभियान उनके खिलाफ नहीं, बल्कि उस वर्ग के खिलाफ है जिससे वह जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह किसान के बेटे हैं और कभी भी कमजोर नहीं पड़ेंगे। उनका कहना था कि विपक्ष को उनके खिलाफ प्रस्ताव लाने का अधिकार है, लेकिन उन्हें इसे संविधानिक तरीके से और सही प्रक्रिया का पालन करते हुए पेश करना चाहिए था। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने इस अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष द्वारा 14 दिन का नोटिस देने की शर्त का उल्लंघन किया गया था, जो इस तरह के प्रस्तावों के लिए अनिवार्य है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि उपराष्ट्रपति का नाम गलत तरीके से नोटिस में लिखा गया था, जो प्रस्ताव की वैधता को प्रभावित करता है।