रायपुर : डीकेएस में 3 साल पहले लगाया ऑक्सीजन प्लांट, चालू करने लगे तो पता चला लाइसेंस ही नहीं है

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सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल डीकेएस में मुख्य ऑक्सीजन प्लांट छह महीने से बंद है। रोज मरीजों को प्राइवेट प्लांट से ऑक्सीजन खरीदकर दी जा रही है। डीकेएस के पीछे ही तीन साल पहले लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा चुका है। रोज-रोज ऑक्सीजन सिलेंडरी खरीदी में मोटी रकम खर्च करने से बचने डीकेएस प्रबंधन ने लिक्विड प्लांट को चालू करने की तैयारी की, तब पता चला कि उसका तो लाइसेंस ही नहीं है। लाइसेंस के बिना उसे चालू नहीं कर सकते।तीन साल से पूरा प्लांट बनकर तैयार है लेकिन अब इतनी गंभीर चूक सामने आई है। इसके लिए अस्पताल प्रशासन और छत्तीसगढ़ मेडिकल कार्पोपेरशन के अफसर एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। डीकेएस प्रबंधन अभी लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के लाइसेंस के लिए पूणे की लिंडे कंपनी से अनुबंध किया है।
कंपनी के निरीक्षण से सामने आई चूक
कंपनी के प्रतिनिधि प्लांट का निरीक्षण करने पहुंचे तो पता चला कि इसके चारों ओर न तो रेलिंग का घेरा किया गया है और न ही पानी की टंकी बनाई गई है। प्लांट में विस्फोट का खतरा रहता है, इसलिए आगजनी जैसी घटना होने पर उसके पास ही पानी टंकी जरूरी है।

कंपनी प्रतिनिधियों के सर्वे के बाद प्रबंधन की ओर से सीजीएमएससी को पत्र लिखा गया। उसके बाद सीजीएमएससी के अफसरों ने आनन-फानन में निरीक्षण किया और वहां काम चालू करवाया। पानी टंकी बनाने के साथ प्लांट की घेरेबंदी भी की जा रही है। लिक्विड प्लांट को डीकेएस की ऑक्सीजन पाइप लाइन से जोड़ने का काम भी इसी हफ्ते चालू कर दिया जाएगा। डीकेएस और सीजीएमएससी के अफसरों की प्रशासनिक लापरवाही की वजह से अस्पताल प्रशासन के रोज 60 हजार खर्च हो रहे हैं। लिक्विड प्लांट चालू होने के बाद ऑक्सीजन प्राइवेट प्लांट से खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जब तक मुख्य प्लांट शुरू नहीं होगा तब तक लिक्विड प्लांट से ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती रहेगी।