एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए शुक्रवार का दिन काफी दुखद रहा है. 62 साल की उम्र में ‘पान सिंह तोमर’ के राइटर संजय चौहान का निधन हो गया. संजय चौहान लीवर संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे. तबीयत ज्यादा खराब होने पर उन्हें एच.एन रिलायंस हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था. अफसोस वो हॉस्पिटल से ठीक होकर घर वापस नहीं आ सके.
10 दिन पहले बिगड़ी हालत
संजय चौहान फिल्म जगत के जाने-माने राइटर्स में से एक थे. अपनी राइटिंग के लिए पॉपुलर संजय चौहान, तिग्मांशु धूलिया की ‘साहेब बीवी और गैंगस्टर’ के को-राइटर भी थे. वो लीवर सिरोसिस से पीड़ित थे. करीब 10 दिन पहले उन्हें इंटरनल ब्लीडिंग शुरू हुई. ब्लीडिंग की वजह से उनकी हालत काफी खराब हो गई थी. इसके बाद उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टर्स ने उन्हें बचाने की काफी कोशिश की, लेकिन संजय चौहान को बचाया ना जा सका.
संजय चौहान के परिवार में उनकी पत्नी और बेटी सारा हैं. संजय चौहान के निधन की खबर से इंडस्ट्री शोक में है. हर कोई उन्हें अपने तरीके श्रद्धाजंलि दे रहा है. फिल्ममेकर और संजय चौहान के करीबी दोस्त अविनाश दास ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट लिख कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी.
अपनी पोस्ट के जरिए अविनाश ने बताया कि संजय चौहान इंडस्ट्री में उनके संरक्षक की तरह रहे हैं. फिल्ममेकर ने ये भी लिखा कि उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बेहद कमाल था, जिसे कभी नहीं भूलाया जा सकेगा. संजय चौहान को याद करते हुए अविनाश लिखते हैं, संजय चौहान हमारे बीच से उठ कर अचानक चले जाएंगे, मालूम नहीं था. लगता था कि बीमार होने के बाद आदमी ठीक हो जाता है. कई बार मौत के मुंह से निकल कर सबको चकित कर देता है. लेकिन, सच यही है कि संजय चौहान अंतिम विदा ले चुके हैं.
पत्रकार भी थे संजय चौहान
संजय चौहान का जन्म और पालन-पोषण भोपाल में हुआ है. उन्होंने दिल्ली में एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया. बाद में वो मुंबई चले गए. 1990 उन्होंने क्राइम सीरीज ‘भंवर’ लिखी. संजय चौहान एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपनी जगह बना रहे थे. 2011 में ‘आई एम कलाम’ के लिए संजय को बेस्ट स्टोरी के फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है.
इसके अलावा उन्हें ‘धूप’, ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’, और ‘साहेब बीवी गैंगस्टर’ जैसी फिल्मों के लिए भी जाना जाता है.