पाकिस्तानी पुलिस ने प्रेस क्लब में घुसकर पत्रकारों को पीटा, PoK में हिंसा को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे

पाकिस्तान में इस्लामाबाद के प्रेस क्लब पर पुलिस ने अचानक छापा मारा और वहां प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों और लोगों पर हमला किया। यह प्रदर्शन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में अत्याचारों और इंटरनेट ब्लैकआउट के खिलाफ हो रहा था। इस घटना के बाद पूरे पाकिस्तान में नाराजगी जाहिर की गई। गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं। इस घटना से जुड़े कई वीडियो वायरल हैं जिनमें पुलिस पत्रकारों पर लाठियां चला रहे हैं। इस बीच पुलिस का कहना है कि उन्होंने पत्रकारों को गलती से निशाना बनाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह तब हुआ जब PoK की स्थिति को लेकर प्रेस क्लब के बाहर विरोध प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए पुलिस पहुंची।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प शुरू हो गई। कुछ प्रदर्शनकारी भाग कर प्रेस क्लब में घुस गए। पुलिस उनका पीछा करती हुई प्रेस क्लब के अंदर चली गई। अंदर पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू किया और पत्रकारों ने जब मोबाइल और कैमरे से रिकॉर्ड करने की कोशिश की, तो उन्हें भी पीटा गया। प्रेस क्लब के कम से कम दो फोटोग्राफर और तीन कर्मचारी घायल हुए। कई पत्रकारों के कैमरे और मोबाइल तोड़ दिए गए। पुलिस हमले के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद व्यापक आक्रोश फैल गया। वरिष्ठ पत्रकारों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करार दिया। गृह मंत्री ने घटना की जांच का आदेश दिया। नकवी ने यह भी कहा कि पत्रकारों पर हिंसा किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं होगी और इसमें शामिल पुलिसकर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी प्रेस क्लब पहुंचे और पत्रकारों से माफी मांगी। चौधरी ने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से बदसलूकी की थी और पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए क्लब के भीतर चली गई, लेकिन वहां पत्रकारों के साथ झड़प हो गई। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “आपकी आवाजें ही हमें जनता तक पहुंचाती हैं, हम बोलने की आजादी के समर्थक हैं।” पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में बुनियादी जरूरतों पर सब्सिडी कटौती के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं।
ये प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC) की अपील पर हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सरकार पर मौलिक अधिकारों की अनदेखी और महंगाई कंट्रोल न कर पाने का आरोप लगा रहे हैं।