भारत का टेक सिटी कहे जाने वाले बेंगलुरु में टेस्ला के सीईओ और अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की ‘पूजा’ की गई है। सेव इंडियन फैमिली फेडरेशन (SIFF) की ओर से शहर के फ्रीडम पार्क में मस्क के लिए विशेष ‘पूजा’ का आयोजन हुआ। मालूम हो कि SIFF एक एनजीओ है जो पुरुषों के अधिकारों को लेकर काम करता है। इन लोगों ने मस्क को ‘वोकशूरा का विध्वंसक’ कहा और ट्विटर का मालिक बनने को लेकर उनकी तारीफ की। ‘वोक कल्चर’ एक ऐसा टर्म है जो आमतौर पर उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो हर चीज पर सवाल उठाते हैं।
एसआईएफएफ की ओर से सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया है जिसमें कुछ आदमी एलन मस्क की तस्वीर के सामने खड़े नजर आ रहे हैं। एक अन्य वीडियो में एक शख्स मस्क की फोटो के सामने अगरबत्ती घुमाता दिख रहा है। इस तरह के वीडियो फुटेज इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। SIFF के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा गया, ‘कुछ लोगों ने भारत के बेंगलुरु में एलन मस्क की पूजा करनी शुरू की है। वे उन्हें वोकशूरा का विध्वंसक और फेमिनिस्ट्स को बेदखल करने वाला मानते हैं।’
बेंगलुरु में टेस्ला CEO एलन मस्क की 'पूजा' की गई|
– पुरुषों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन SIFF ने किया था पूजा का आयोजन | #elonmusk #Bengaluru @elonmusk pic.twitter.com/8tS94kFxlF
— Shubhankar Mishra (@shubhankrmishra) February 28, 2023
SIFF के बारे में जानें
पिछले कुछ दिनों से SIFF के मेंबर्स वैवाहिक बलात्कार पर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं (PILs) के खिलाफ बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि बलात्कार, घरेलू हिंसा और दहेज पर कानून पहले से ही पुरुषों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण हैं, जिसके कारण कई झूठे मामले दर्ज हुए हैं। इन्होंने आशंका जताई कि नए कानून का इस्तेमाल वास्तविक पीड़ितों को न्याय दिलाने के बजाय दुरुपयोग अधिक हो सकता है। ऐसे में पुरुषों के अधिकारों का भी ख्याल रखना चाहिए।
एसआईएफएफ का कहना है कि वे शादी या रिश्ते में यौन हिंसा के खिलाफ कानूनों के पक्ष में तो हैं, लेकिन भारत में ऐसे कानूनों का दुरुपयोग अधिक होता है और पुरुषों के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है। अगर एलन मस्क की बात करें तो उन्होंने रविवार को कहा कि कीव में सरकार बदलने के बाद 2014 में यूक्रेन ने वास्तव में तख्तापलट देखा था। मस्क ने ट्वीट किया कि वह चुनाव यकीनन नीरस था, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि वास्तव में तख्तापलट हुआ था। 2013 में यूरोपीय संघ के साथ एकीकरण के उद्देश्य से नीति को रोकने के अधिकारियों के फैसले के कारण यूक्रेन में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, जिससे तख्तापलट हुआ।