PM मोदी ने जगन्नाथ मंदिर में पूजा की, ‘रत्न भंडार’ की चाबियां गायब होने का मुद्दा उठाकर पटनायक सरकार को घेरा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पुरी में ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की और नवीन पटनायक की पार्टी BJD के खिलाफ हमला तेज कर दिया है. पीएम मोदी ने यहां रत्न भंडार (खजाना कक्ष) की गुम हुईं चाबियों का मुद्दा उठाया और सीधे सत्तारूढ़ बीजद सरकार को निशाने पर लिया. पीएम मोदी का कहना था कि 12वीं सदी का ये मंदिर बीजेडी शासन में सुरक्षित नहीं है. पीएम मोदी ने अंगुल में आयोजित रैली को संबोधित किया. पीएम ने कहा, बीजेडी शासन में पुरी में जगन्नाथ मंदिर सुरक्षित नहीं है. पिछले 6 साल से ‘रत्न भंडार’ की चाबियां गायब हैं. पुरी में 25 मई को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के साथ मतदान होगा. भगवान जगन्नाथ ओडिशा में सबसे प्रतिष्ठित देवता हैं और जगन्‍नाथ मंदिर के रत्‍न भंडार को लेकर ओडिशा के लोगों में गहरी आस्था है. जगन्नाथ मंदिर के तहखाने में रत्न भंडार स्थित है. रत्न भंडार में सदियों से भक्तों और पूर्व राजाओं द्वारा दिए गए देवताओं भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के बहुमूल्य आभूषण रखे हुए हैं. इसे आखिरी बार 14 जुलाई 1985 को खोला गया था. 2018 में ओडिशा हाई कोर्ट ने सरकार को निरीक्षण के लिए कक्ष खोलने का निर्देश दिया था. हालांकि, चैंबर की चाबियां नहीं मिल सकी थीं, जिससे पूरे राज्य में नाराजगी देखने को मिली थी.

पीएम मोदी ने ट्वीट किया, पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ से प्रार्थना की. उनका आशीर्वाद हम पर हमेशा बना रहे और हमें प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएं. उसके बाद उन्होंने पुरी में मार्चिकोट चौक से मेडिकल स्क्वायर तक दो किलोमीटर का लंबा रोड शो किया. पीएम के साथ बीजेपी के पुरी लोकसभा उम्मीदवार संबित पात्रा और प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल भी थे. इससे पहले पीएम मोदी ने 11 मई की रैली में जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार (खजाना कक्ष) की सुरक्षा का भी मुद्दा उठाया था. उन्होंने यह भी दावा किया था कि उड़िया अस्मिता (ओडिशा गौरव) और उड़िया भाषा खतरे में है. इसे नवीन पटनायक पर सीधा हमला माना गया था. पटनायक पर विपक्ष बार-बार ना सिर्फ उड़िया सीखने में विफल रहने, बल्कि राज्य की संस्कृति से अनजान होने का आरोप लगाता रहा है पिछले 10 दिनों में पीएम मोदी की ओडिशा की यह दूसरी यात्रा है. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब बीजेपी और बीजेडी हाल के दिनों में सबसे ज्यादा आमने-सामने देखने को मिले हैं. इससे पहले बीजेपी और बीजेडी के बीच ओडिशा में चुनाव को लेकर गठबंधन होने की चर्चा थी. बातचीत परवान नहीं चढ़ सकी और दोनों पार्टियों के बीच खींचतान और तेज हो गई.