प्रदेश का पारंपरिक पोला पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। इसके लिए जिला मुख्यालय के बाजार, प्रमुख चौक-चौराहे में सड़क किनारे मिट्टी के बने बैल व खिलौनों की दुकानें सज चुकी हैं। बुधवारी बाजार, सदर बाजार, घड़ी चौक में भीड़ देखी गई व मिट्टी के नादिया बैल की बिक्री हुई। विधि विधान से पोला पर्व में नादिया बैल की पूजा की जाएगी। इस दिन घर-घर विविध पकवान भी बनाए जाएंगे। इस साल मिट्टी के बैलों की कीमत 50 से 60 रुपए जोड़ी है।
अब पर्व का उत्साह हो रहा कम
पोला पर्व कृषि प्रधान रहे छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार है। इस समय किसान खेतों में जुताई-बोआई का काम पूरा कर चुके होते हैं। उनको फसल पकने का इंतजार रहता है। बैलों की की पोला पर्व में पूजा कर उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त किया जाता है। इस युग में हल-बैलों की उपयोगिता कम होने से त्योहार के प्रति लोगों का उल्लास कम एवं औपचारिक अधिक हो गया है।
बेटी को तीज मनाने मायके लाने की परंपरा
पोला पर्व पर भगवान भोलेनाथ की सवारी नादिया बैल की पूजा की जाती है। परंपरा यह भी है कि इस दिन से ससुराल गई बेटियों को तीजा के लिए मायके लाने जाते हैं। पोला के बाद तीज पर्व शुरू हो जाएगा है। तीज पर्व को लेकर महिलाओं में अभी से उत्साह है।