छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में शिक्षा विभाग में पोस्टिंग घोटाला उजागर होने के बाद जॉइंट डायरेक्टर और सहायक ग्रेड-2 को सस्पेंड कर दिया है। लेकिन, जांच रिपोर्ट आने के बाद भी इस गंभीर मामले में लीपापोती शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि इस गड़बड़ी में शिक्षक नेताओं से लेकर विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बतौर एजेंट शामिल थे, जिनके माध्यम से पूरा लेनदेन का खेल चला है। उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
हैरानी की बात यह भी है कि जिन 700 शिक्षकों की अवैध और गलत तरीके से संशोधित आदेश जारी कर पोस्टिंग की गई है। उसे अब तक निरस्त नहीं किया गया है और न ही उस पर कोई बात हो रही है। बता दें कि सरगुजा संभाग में ऐसी ही गड़बड़ी हुई थी, जिसकी जांच के बाद सभी संशोधन आदेश निरस्त कर दिया गया।
राज्य शासन ने जब संभाग के 915 सहायक शिक्षक एलबी को हेडमास्टर के पद पर पदोन्नति दी और पोस्टिंग के लिए संभागीय अफसरों को जिम्मेदारी दी गई, तब गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए काउंसिलिंग के माध्यम से पोस्टिंग का आदेश जारी किया गया। संयुक्त संचालक और क्लर्क सहित विभाग के अफसरों ने नियमों को ताक में रखकर खुद अपना नियम बना लिया। फिर मनमाने तरीके से पोस्टिंग आदेश जारी कर संशोधन का खेल चला। जानकारी के मुताबिक संभागीय कार्यालय ने हर जिला और ब्लॉक मुख्यालयों में पोस्टिंग आदेश संशोधित कराने के लिए एजेंट तैनात किए थे, जिसमें विभागीय अफसर, शिक्षक नेता और कर्मचारी शामिल थे, जिनके माध्यम से ही डेढ़ से दो लाख रुपए देने पर मनचाही जगहों पर पोस्टिंग दिलाने का सौदा तय हुआ।
जांच का दायरा बढ़ने से कई चेहरे होंगे बेनकाब
दावा किया जा रहा है कि इतने बड़े घोटाले को संयुक्त संचालक और सहायक ग्रेड-2 ने मिलकर अंजाम नहीं दिया होगा। हर जगह एजेंट भी तैनात थे, जिन पर कार्रवाई तो दूर उनका नाम तक सामने नहीं आया। यह भी दावा है कि बतौर एजेंट विभागीय अफसर, शिक्षक नेताओं से लेकर कर्मचारी शामिल थे, जिनके जरिए ही पूरा लेनदेन का खेल चला। लेकिन, पूरे कांड की जांच सिर्फ जॉइन डायरेक्टर और क्लर्क तक ही सीमित रह गया। कहा जा रहा है कि जांच का दायरा बढ़ने पर पर्दे के पीछे खेल करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा शिक्षक नेताओं के नाम भी उजागर होंगे।
ऐसे रचा गया पूरा षड्यंत्र
शासन के आदेश पर पोस्टिंग के लिए शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक ने सभी जिलों के डीईओ से रिक्त पदों की जानकारी मंगाई, जिसके बाद शहर के साथ ही जिला व ब्लॉक मुख्यालय के आसपास के स्कूलों में रिक्त पदों को छिपा दिया गया। इसके बाद दिखावे के लिए काउंसिलिंग किया गया। फिर कुछ ही दिन में छिपाए गए पदों पर संशोधन के नाम पर लेनदेन कर पोस्टिंग आदेश जारी किया गया।
140 शिक्षकों ने नहीं लिया प्रमोशन
जब प्रमोशन के बाद जब काउंसिलिंग में दूर के स्कूलों में शिक्षकों को पोस्टिंग आदेश जारी किया गया तब दूर में स्थान जाने के बजाए करीब 140 शिक्षकों ने प्रमोशन लेने से मना कर दिया।
700 शिक्षकों का हुआ संशोधन, लेकिन आदेश निरस्त नहीं
जब शिक्षकों की पोस्टिंग में गड़बड़ी सामने आई, तब पता चला कि पूरे संभाग से पदस्थापना स्थल बदलने के लिए थोक में शिक्षकों के नाम आए। सभी शिक्षकों का संशोधित आदेश एक ही दिन 5 जून को निकाला गया। प्रारंभिक जांच में पोस्टिंग में लेनदेन होने की शिकायत सही मिलने पर राज्य शासन ने जांच का जिम्मा संभागीय कमिश्नर भीम सिंह को दिया। जिसके बाद राज्य शासन ने संयुक्त संचालक एसके प्रसाद और सहायक ग्रेड 2 विकास तिवारी को सस्पेंड कर दिया। लेकिन, हैरानी की बात ये है कि जांच में तकरीबन 700 शिक्षकों की पोस्टिंग आदेश में संशोधन करने की जानकारी आई है, जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। लेकिन, अब तक गलत तरीके से जारी संशोधन आदेश को निरस्त नहीं किया गया है।
सरगुजा में दोषी अफसर पर मेहरबानी
बिलासपुर की तरह सरगुजा संभाग में भी पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई थीl शिकायत पर कमिश्नर ने जांच की और रिपोर्ट शासन को भेज दी है l यहां करीब, 300 शिक्षकों का संशोधन कर पोस्टिंग किया गया था l कमिश्नर की जांच के बाद दोषी संयुक्त संचालक पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है l फिर भी अब तक मामले को दबा कर रखा गया है, जिससे शिक्षकों में आक्रोश हैl माना जा रहा है कि राज्य शासन सरगुजा और बिलासपुर संभाग में संशोधन आदेश को रद्द कर सकती है l अगर ऐसा होता है तो पैसे देकर संशोधित आदेश के जरिए पोस्टिंग लेने वाले 700 शिक्षकों में खलबली मचेगी। ऐसे में देनदेन करने वाले शिक्षक सामने आएंगे और किसके माध्यम से लेनदेन किया गया, इसका भी खुलासा हो सकेगा।
कर्मचारी संघ ने संशोधित आदेश निरस्त करने की है मांग
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने संभाग के संशोधित आदेश को रद्द करने की मांग की है। इससे आदेश संशोधन कराने वाले शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। बताते हैं कि इन शिक्षकों ने एक कमेटी बनाई है, जिन्होंने मिलकर एक बैठक भी की है। इसमें तय किया गया है कि अगर उनका आदेश निरस्त किया जाता है तो वे अपने पैसे की रिकवरी के लिए प्रयास करेंगे। गोपनीय तरीके से रिकवरी नहीं हुई तो शासन-प्रशासन को शपथ पत्र देकर शिकायत करेंगे, जिसमें पैसे लेने वाले एजेंटों के नाम भी होंगे।
क्लर्क के घर के सामने लगता था मेला
संशोधन आदेश जारी होने से पहले सहायक ग्रेड 2 विकास तिवारी के घर के सामने मेला लगता था, जहां सुबह से लेकर देर रात तक शिक्षक संशोधन आदेश लेने जाते थे। विकास तिवारी वह शख्स है, जिस पर डीईओ कार्यालय में पदस्थापना के दौरान शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में लेनदेन का आरोप लग चुका है।