चुनावी घोषणापत्र समिति से सिंहदेव को बाहर करने का प्रस्ताव

क्षेत्रीय

छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके लिए कांग्रेस ने संगठन का नया व्याकरण बनाना शुरू कर दिया है। मंगलवार शाम राजनीतिक मामलों की समिति की घोषणा हो गई। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को बाहर किया गया है। उनकी जगह पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत और राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन को शामिल किया गया है। वहीं कांग्रेस ने चुनावी घोषणापत्र समिति से वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव को बाहर रखने का प्रस्ताव दिया है।

प्रदेश कांग्रेस वर्किंग कमेटी की पिछली बैठक में चुनावी समितियों के गठन पर चर्चा हुई थी। कांग्रेस ने राजनीतिक मामलों की समिति, घोषणापत्र समिति, चुनाव अभियान समिति, समन्वय समिति, प्रचार और प्रकाशन समिति, अनुशासन समिति और चुनाव समिति आदि के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सहमति के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंगलवार को राजनीतिक मामलों की समिति का आदेश जारी कर दिया। इसमें प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, विधायक सत्यनारायण शर्मा, धनेंद्र साहू, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत और CMDC के अध्यक्ष गिरीश देवांगन को रखा गया है।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीतिक समिति में फेरबदल, अरविंद नेताम हटाए गए;  अमरजीत, गिरीश शामिल | Political committee also reshuffled, Arvind Netam  removed; Amtarjit Bhagat, Girish ...छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीतिक समिति में फेरबदल, अरविंद नेताम हटाए गए;  अमरजीत, गिरीश शामिल | Political committee also reshuffled, Arvind Netam  removed; Amtarjit Bhagat, Girish ...

महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस सेवा दल के मुख्य संगठक, यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और NSUI के प्रदेश अध्यक्ष को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर समिति का हिस्सा बनाया गया है। एआईसीसी के दोनों प्रभारी सचिव यानी चंदन यादव, सप्तगिरी शंकर उलका और छत्तीसगढ़ से एआईसीसी के दोनों सचिव यानी विकास उपाध्याय व राजेश तिवारी भी पदेन इस समिति का हिस्सा होंगे।

अरविंद नेताम, इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में कृषि राज्य मंत्री रह चुके हैं। मालिक मकबुजा मामले में पहली बार 1996 में उन्हें कांग्रेस से निकाला गया था। 2012 में वे फिर पार्टी में आए। लेकिन तबके राष्ट्रपति चुनाव में पीए संगमा का समर्थन करने की वजह से उन्हें फिर से निलंबित कर दिया गया। 2017 में उन्होंने भाजपा ने निकाले गए पूर्व सांसद सोहन पोटाई के साथ मिलकर आदिवासियों का आंदोलन खड़ा किया। एक राजनीतिक दल बनाया। चुनाव से ठीक पहले उन्हें कांग्रेस में शामिल कर लिया गया। बाद में कांग्रेस ने उन्हें राजनीतिक मामलों की समिति में रखा। पार्टी के सत्ता में आने के बाद अरविंद नेताम का रुख आदिवासी मुद्दों पर विपक्ष की तरह ही मुखर रहा। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व ने उनको चुपचाप किनारे होते जाने दिया।

2018 के चुनाव से पहले कांग्रेस ने चुनाव से 10 महीने पहले समितियों की घोषणा की थी। इसमें चुनाव घोषणापत्र समिति का अध्यक्ष टीएस सिंहदेव को बनाया गया था। उनके अलावा डाॅ चरणदास महंत, मोहम्मद अकबर, धनेन्द्र साहू, रविन्द्र चौबे, सत्यनारायण शर्मा, करुणा शुक्ला, अरुण वोरा, रमेश वर्ल्यानी, शिशुपाल सोरी, रामदयाल उइके, डॉ. शिवकुमार डहरिया और राजेश तिवारी को इस समिति में रखा गया था। राजनीतिक पंडितों का कहना है, 2018 की जीत में जनता को भाजपा से नाराजगी से अधिक कांग्रेस की घोषणाओं ने प्रभावित किया था। इस बार समीकरण बदले हुए हैं। बताया जा रहा है, पीसीसी नेताओं ने सिंहदेव के बैठक में पहुंचने से पहले ही घोषणापत्र समिति के नाम कर लिए थे। उसमें सिंहदेव का नाम शामिल ही नहीं किया गया। अब देखना यह है कि कांग्रेस हाईकमान इसी सूची को मंजूरी देती है अथवा इसमें कोई बदलाव होगा।