कोरबा में भू-विस्थापित महिलाओं का विरोध, नौकरी की मांग को लेकर उतारी साड़ी, कहा- कंपनी ने जमीन ली…

छत्तीसगढ़ : कोरबा जिले में SECL कुसमुंडा स्थित कंपनी कार्यालय के बाहर भू-विस्थापित महिलाओं ने अपनी साड़ी उतारकर प्रदर्शन किया। महिलाओं का आरोप है कि कंपनी ने उनकी जमीन का अधिग्रहण कर लिया, लेकिन रोजगार नहीं दिया। खदान प्रभावितों के द्वारा विभिन्न परियोजनाओं में किए जाने वाले आंदोलन-प्रदर्शन की कड़ी में यह पहली बार हुआ है जब महिलाओं ने अर्धनग्न होकर दफ्तर के भीतर प्रदर्शन किया। SECL कोरबा की कुसमुंडा परियोजना कार्यालय में किए गए इस प्रदर्शन ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कोरबा की विभिन्न कोयला परियोजनाओं में विस्थापन और रोजगार को लेकर बरती गई लापरवाही के चलते ऐसे हालात पैदा हुए हैं। जिसके चलते यहां अक्सर भूविस्थापितों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। इधर प्रबंधन आश्वासन देने के बावजूद वादे से मुकर जाता है। यही वजह है कि इस बार गांव की महिलाओं नेता मोर्चा संभाला और कुसमुंडा प्रोजेक्ट में GM कार्यालय में घुसकर प्रदर्शन किया।
पूर्व में की गई घोषणा के मुताबिक जब महिलाएं कुसमुण्डा परियोजना के दफ्तर पहुंचीं। तब कार्यालय के भीतर इकट्ठा महिलाओं को बाहर जाकर प्रदर्शन करने के लिए एक अधिकारी के द्वारा बार-बार कहा जाता रहा। महिलाओं ने कहा कि आप चूड़ी पहन लो, हम सब चले जाएंगे। अधिकारी ने कहा कि इस तरह जिद करने पर बात नहीं होगी बाहर आप चाहे जितना देर प्रदर्शन करें, कोई दिक्कत नहीं लेकिन यहां प्रदर्शन न करें। अधिकारी ने यह भी कहा कि वह सक्षम अधिकारी से बात कर सकते हैं, तब महिलाओं ने सक्षम अधिकारी को बुलाने के लिए कहा। इस दौरान एक भूविस्थापित ने उक्त अधिकारी से सवाल भी किया कि अनुपम दास ने पैसे लेकर फर्जी नौकरियां लगवाई हैं तो क्या अनुपम दास पर कार्रवाई करेंगे? फिर महिलाओं ने एसईसीएल चूड़ी पहन लो-साड़ी पहन लो, मुर्दाबाद जैसे नारे लगाए और थोड़ी देर में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
भूविस्थापित महिलाओं ने कहा कि वह एसईसीएल के झूठे आश्वासनों से त्रस्त हो चुके हैं। जब कभी खदान में प्रदर्शन किया जाता है तो उन्हें गिरफ्तार करवाकर जेल भेज दिया जाता है। बातचीत कर समाधान करने और नौकरी, मुआवजा, बसाहट देने का आश्वासन दिया जाता है और फिर सब कुछ भूल जाते हैं। बार-बार के झूठे आश्वासन से त्रस्त होकर इन्होंने जो मांग की है, वे प्रकार हैं :
1978 से 1988 के बीच लंबित रोजगार प्रकरणों को अतिशीघ्र पूरा किया जाए और सही उम्मीदवार को रोजगार प्रदान किया जाए ।
जिन सही उम्मीदवार के स्थान पर फर्जी व्यक्तियो को प्रबंधन द्वारा भूविस्थापितो का परिवार बताकर रोजगार दिया गया है ऐसे व्यक्ति पर तत्काल निलंबन आदेश जारी करते हुए उनका पीएफ, ग्रेच्युटी, मेडिकल एवं सुविधाओं से वंचित किया जाए या 1978 से 1988 से भूमि अधिग्रहण से रोजगार प्राप्त व्यक्ति अगर अपना त्याग पत्र देकर नौकरी छोड़ देता है, तब यह माना जाए की वह व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों के सहारे रोजगार प्राप्त किया हैं ऐसे व्यक्ति को समस्त सुविधाओं से वंचित कर उसका सत्यापन कराने के बाद लाभ प्रदान करें।
भूविस्थापित उम्मीदवार के लिए वैकल्पिक रोजगार व्यवस्था किया जाए साथ ही पूर्व में जिन उम्मीदवारों को वैकल्पिक रोजगार पर रखकर निकाला गया हैं उनको भी परियोजना में रखा जाए।
भूविस्थापित उम्मीदवारो के द्वारा पूर्व में जो भी आंदोलन/हड़ताल किया गया है जिस पर प्रबंधन द्वारा उन पर पुलिस कार्यवाही किया गया था, उन सभी उम्मीदवारों का केस SECL प्रबंधन वापस ले।
आंदोलन की इस कड़ी में महिलाओं द्वारा 19 जुलाई को कुसमुंडा महाप्रबंधक सचिन पाटिल और सीएमडी का पुतला दहन किया जाएगा। इस संबंध में इन्होंने प्रशासन को पत्र के जरिए सूचना दे दी है। इस पत्र में कहा गया है कि 18 जुलाई को उनकी मांगों के संबंध में GM के अड़ियल रवैया के कारण उन्हें अर्धनग्न प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा, उनका अंदोलन आगे भी जारी रहेगा।