वनोपज से वन आश्रितों के जीवन में बेहतर बदलाव आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों के हित में काम करते हुए कई यहां कार्य किए हैं। लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य में खरीदी, दाम में बढ़ोत्तरी, कृषि और लघु वनोपजों का संग्रहण, वैल्यू एडिशन जैसे कार्यों से न केवल वनांचल क्षेत्रों में लोगों को रोजगार मिला है बल्कि उनके जीवन में बदलाव भी आ रहे हैं। आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पेयजल, सड़क, सामुदायिक भवनों जैसी सुविधाओं का विस्तार हुआ है। वनाश्रितों के अधिकारों में भी वृद्धि हुई है। तेंदूपत्ता संग्राहकों के हित में छत्तीसगढ़ सरकार ने कई कदम बढ़ाए हैं, यही कारण है कि तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के जीवन में खुशहाली की बयार है। तेंदूपत्ता पहले जहां 2500 रुपए प्रति मानक बोरा खरीदा जाता था आज उसे बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति मानक बोरे में खरीदा जा रहा है, प्रति मानक बोरा में कल 1500 रुपए की वृद्धि की गई। प्रदेश में अब तक संग्राहकों से तीन चौथाई तेंदूपत्ता का संग्रहण किया जा चुका है।
हरा सोना है तेंदूपत्ता – औद्योगिक जिले के वनांचल में रहने वाले ग्रामीण तेंदूपत्ता को हरा सोना मानते हैं। गर्मी के दिनों में जब उनके पास न तो खेतों में काम होता है और न ही घर में कुछ काम, तब इसी तेंदूपत्ता यानी हरा सोना का संग्रहण उन्हें मेहनत एवं संग्रहण के आधार पर पारिश्रमिक देता है। वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों के लिये तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरा की दर में हुई वृद्धि ने खुशियां जगा दी है। वे बहुत ही उत्साह के साथ तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य कर रही हैं।
दाम बढ़ने से खुश हैं संग्राहक – कोरबा विकासखंड के ग्राम कोरकोमा की सुखमिन बाई और कला कुंवर, वृंदा बाई तेंदूपत्ता संग्रहण कर उसे समिति में बेचने का कार्य वर्षों से कर रही है। एक सीजन में तीन से पांच हजार रूपए तक कमाई करने वाली इन संग्राहिकाओं का कहना है कि वे सुबह से शाम तक पत्ते तोड़कर उसे बण्डल बनाती हैं, फिर फड़ में ले जाकर बेच आती हैं। उनका अधिकांश समय वन में ही गुजरता है। मुख्यमंत्री द्वारा 2500 रूपये प्रति बोरा राशि की दर को 4000 रूपए किए जाने पर खुशी जताते हुए सुखमिन बाई ने इससे उनके जैसे संग्राहकों को लाभ पहुंचने की बात कही।
एक-एक पत्ता तोड़कर बनाते हैं बंडल – ग्राम कोरकोमा की रहने वाली बिसाहीन बाई, गीता बाई, सुखो बाई, ननकी बाई का कहना है कि वह कई साल से तेंदूपत्ता तोड़ने का कार्य कर रही है। संग्राहकों के हित में 2500 की राशि 4000 रूपए प्रति बोरा होने पर गरीब संग्राहकों को इससे फायदा होने की बात कही। कुदमुरा के राजकुमार ने बताया कि वह मजदूरी के साथ-साथ तेंदूपत्ता संग्रहण का काम कई वर्षों से करता आ रहा है। गांव में तेंदूपत्ता संग्रहण से गर्मी के दिनों में कुछ कमाई हो जाती है। एक-एक पत्तों को तोड़कर बण्डल बनाने में मेहनत लगता है। शासन ने संग्राहकों के परिश्रम का महत्व को समझते हुए राशि बढ़ाई है जो सराहनीय है।