राज्यसभा के सभापति की विदाई आज, पीएम ने कहा ये भावुक पल हैं

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उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सभी सांसदों की मौजूदगी में राज्यसभा में विदाई दी गई। नायडू का कार्यकाल बुधवार को खत्म हो रहा है। जगदीप धनखड़ 11 अगस्त को पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे।

इस मौके पर राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज सदन में स्पीकर, राष्ट्रपति वही लोग हैं जो आजाद भारत में पैदा हुए। सभी साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। इसका सांकेतिक महत्व है। ये देश में नए युग का प्रतीक है। नायडू देश के ऐसे उप-राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने अपनी हर भूमिका में युवाओं के लिए काम किया। सदन में भी युवा सांसदों को आगे बढ़ाया। युवाओं के संवाद के लिए यूनिवर्सिटीज और इंस्टिट्यूशंस लगातार जाते रहे। इनका नई पीढ़ी के साथ निरंतर कनेक्ट बना रहा है।’

मोदी के भाषण की बड़ी बातें

उप-राष्ट्रपति के रूप में आपने जो भाषण दिए, उनमें 25% युवाओं पर थे: मोदी ने कहा, ‘मुझे बताया गया कि उप-राष्ट्रपति के रूप में आपने जो भाषण दिए, उनमें 25 फीसदी युवाओं पर थे। व्यक्तिगत रूप से मेरा ये सौभाग्य रहा है कि मैंने निकट से आपको अलग-अलग भूमिकाओं में देखा है। बहुत सारे मौकों पर कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का मौका मिला। कार्यकर्ता, विधायक, सांसद, भाजपा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री के रूप में आपका काम देश के लिए हितकारी रहा है। उप-राष्ट्रपति और सभापति के रूप में मैंने आपको अलग-अलग जिम्मेदारियां में लगन से काम करते देखा है। आपने कभी भी किसी भी काम को बोझ नहीं माना। हर काम में नए प्राण फूंकने का प्रयास किया है। आपका जज्बा, आपकी लगन हमने निरंतर देखी।

आपके वन लाइनर्स बिग लाइनर्स होते हैं: ‘मैं हर सांसद और युवा से कहना चाहूंगा कि वो समाज, देश और लोकतंत्र के बारे में आपसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। आपके अनुभव हमारे युवाओं को गाइड करेंगे और लोकतंत्र को मजबूत करेंगे। आपकी किताबों का जिक्र मैंने इसलिए किया, क्योंकि आपकी वो शब्द प्रतिभा झलकती है, जिसके लिए आप जाने जाते हैं। आपके वन लाइनर्स बिग लाइनर्स होते हैं। उसके बाद कुछ और कहने की जरूरत नहीं रह जाती।’

सामान्य छात्र से पार्टी के टॉप पद पर पहुंचे: आपने दक्षिण में छात्र राजनीति से सफर शुरू किया था। तब लोग कहते थे कि जिस विचारधारा से आप जुड़े हैं, उसका दक्षिण में निकट भविष्य में कुछ अच्छा नजर नहीं आता है। आप सामान्य विद्यार्थी से यात्रा शुरू कर उस पार्टी के शीर्ष पद तक पहुंचे, ये आपकी अविरल कर्तव्यनिष्ठा और कर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक है। अगर हमारे पास देश के लिए भावनाएं हों, बात कहने की कला हो, भाषाई विविधता में आस्था हो तो भाषा और क्षेत्र बाधा नहीं बनती…. ये आपने सिद्ध किया है।

आपने हर भाषा को आगे बढ़ाया: आपकी कही एक बात बहुत लोगों को याद होगी। मुझे विशेष याद है। आप मातृभाषा को लेकर बहुत आग्रही रहे हैं। जब आप कहते हैं कि मातृभाषा आंखों की रोशनी की तरह होती है। दूसरी भाषा चश्मे की तरह होती है। ऐसी भावना हृदय की गहराई से ही बाहर आती है। वेंकैया जी की मौजूदगी में सदन की कार्यवाही के दौरान हर भारतीय भाषा को विशिष्ट अहमियत दी गई। आपने सभी भाषाओं को आगे बढ़ाने का काम हुआ। 22 भाषाओं में सांसद बोल सकें, इसका इंतजाम आपने किया।

आप प्रेरणा पुंज रहेंगे: कैसे संसदीय और शिष्ट तरीके से कोई भी अपनी बात प्रभावी तरीके से कह सकता है, इसके आप प्रेरणा पुंज रहेंगे। आपने सदन की प्रोडक्टिविटी को नई ऊंचाई दी। राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी 70 फीसदी बढ़ी है। सदस्यों की उपस्थिति बढ़ी है। 177 बिल पास हुए और चर्चा हुई, ये अपने आप में कीर्तिमान है। ऐसे कितने ही कानून बने, जो आधुनिक भारत की संकल्पना को साकार करते हैं। आपने कितने ही ऐसे निर्णय लिए, जो अपर हाउस की अपर जर्नी के लिए याद किए जाएंगे।