यूं तो गिद्धों की अधिकांश प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं, ऐसे में उत्तर प्रदेश के कानपुर में विलुप्त हो चुका गिद्ध मिला है, जिसे देखकर स्थानीय लोग हैरान हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, यह एक विलुप्तप्राय हिमालयन प्रजाति का गिद्ध है, जो कानपुर के कर्नलगंज के ईदगाह कब्रिस्तान में मिला है, जो करीब एक हफ्ते से इलाके में है. पांच-पांच फीट लंबे पंखों वाले इस विशालकाय पक्षी को देखने के लिए भीड़ जमा हो गई. इस दौरान सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस और वन विभाग की टीम भी गिद्ध को देखकर दंग रह गई.
#WATCH | UP: A rare vulture was captured in Eidgah cemetery of Kanpur's Colonelganj yesterday. The locals handed it over to Forest Dept.
A local says, "The vulture had been here for a week. We tried to catch it but didn't succeed. Finally, we captured it when it came down." pic.twitter.com/7t5QWXiN3h
— ANI (@ANI) January 9, 2023
वन विभाग ने इस गिद्ध को पकड़कर चिड़ियाघर प्रशासन को सौंप दिया है. इस गिद्ध को कानपुर के चिड़ियाघर में क्वारंटीन किया गया है. साथ ही, यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इतनी दुर्लभ प्रजाति का यह गिद्ध आखिर आया कहां से था. इस दौरान उसकी हर गतिविधि पर नजर भी रखी जा रही है. बताया जा रहा है कि यहां गिद्ध का एक जोड़ा था, एक गिद्ध मौके से उड़ गया.
#कानपुर में मिला एक सफेद हिमालयन गिद्ध लगभग पांच-पांच फीट के हैं गिद्ध के पंख अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी उम्र सैकड़ों वर्ष है pic.twitter.com/4miOFAcasF
— अदिति शर्मा (@adah_sharmaind) January 9, 2023
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर इस वीडियो को एएनआई ने अपने हैंडल से साझा किया है, जिसमें गिद्ध के बड़े-बड़े पंख उसकी खूबसूरती को बखूबी बयां कर रहे हैं. वीडियो में देखा जा सकता है कि गिद्ध के पंख काफी बड़े हैं और एक शख्स ने इन्हें पकड़ा हुआ है. इस दुर्लभ गिद्ध को देखने के लिए मौके पर लोगों की भीड़ भी जमा हो गई.
बताया जा रहा है कि, यह एक हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध है, जो ज्यादातर तिब्बती पठार के हिमालय में पाया जाता है. भारत में गिद्धों की नौ में से चार प्रजातियां संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ श्रेणी में आती हैं. गिद्धों को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972) की अनुसूची-I में भी सूचीबद्ध किया गया है, जो देश में वन्यजीवों के लिए सुरक्षा की सर्वोच्च श्रेणी है.
पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1990 के दशक के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में गिद्धों की आबादी कम हो गई थी. नेशनल ज्योग्राफिक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1990 के दशक के बाद से गिद्धों की संख्या में 99 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है.