भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2023 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए कहा कि रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बरकरार रहेगा। यह लगातार 11 वां मौका है जब आरबीआई की एमपीसी ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसके अलावा, विकास-उन्मुख समायोजन रुख को भी बरकरार रखा गया था।
तदनुसार, केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वाणिज्यिक बैंकों के लिए रेपो रेट या अल्पकालिक उधार दर को 4 प्रतिशत पर बनाए रखा है। यह पहले से ही अपेक्षा थी कि आरबीआई प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी की वजह से पैदा हुई सुस्ती से धीरे धीरे उबर रही है।
आरबीआई ने महंगाई का अनुमान बढ़ा दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक पॉलिसी नीति की घोषणा करते हुए मौजूदा वित्त वर्ष में 5.7 फीसद महंगाई दर का अनुमान लगाया है। इसके अलावा, आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया है। दास ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से आर्थिक रिकवरी पर असर पड़ेगा। दास ने मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को घटाकर 7.2 फीसद कर दिया है।
दास ने कहा कि बड़े विदेशी मुद्रा भंडार के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था कंफर्ट की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि आरबीआई अर्थव्यवस्था की किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है। दास ने कहा कि सप्लाई चेन में आए व्यवधानों से कमोडिटी और फाइनेंशियल मार्केट पर असर पड़ा है। दास ने कहा कि क्रूड ऑयल की वैश्विक कीमतें काफी चढ़ चुकी हैं और अस्थिर बनी हुई हैं। दास ने बताया कि महामारी ने स्वास्थ्य संकट पैदा किया था और लोगों के जीवन पर इससे बड़ा असर पड़ा था। अब यूरोप में उत्पन्न तनाव से वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर असर पड़ेगा और रिकवरी में अधिक समय लगेगा।