नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण OBC को 50% आरक्षण, 15-20 दिसंबर के बीच लग सकती है आचार-संहिता

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छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर अध्यादेश जारी हो गया है। इसके अनुसार आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत ही रखी गई है। इससे यह ओबीसी वर्ग के लोगों को अधिक से अधिक जनप्रतिनिधित्व भी मिलेगा। हालांकि, जहां एससी-एसटी की आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है, वहां ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। राज्य शासन ने कैबिनेट की बैठक में पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए स्थानीय निकायों में आरक्षण के नियमों में बदलाव किया है। इसका अध्यादेश भी जारी कर दिया गया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की अनुशंसा के अनुसार आरक्षण के प्रावधान किए गए हैं। नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव को लेकर राज्य में तैयारियां जोरशोर से शुरू हो गई है। निर्वाचन आयोग भी लगातार अधिकारियों की बैठक ले रहा है। वहीं नगरीय निकाय चुनावों में प्रति एक हजार मतदाता के लिए एक मतदान केंद्र व पंचायत चुनावों में 500 मतदाता के लिए एक मतदान केंद्र बनाया जाए। राज्य निर्वाचन आयुक्त अजय सिंह ने कहा कि सभी पात्र मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में अनिवार्य रूप से जोड़े जाएं। आने वाले दिनों में चुनाव की तैयारियों के संबंध में मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ आयोग की संयुक्त रूप से बैठक होगी। उन्होंने अधिकारियों को चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने, मतदाता जागरूकता बढ़ाने और मतदान प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के निर्देश दिए। राज्य शासन द्वारा आगामी नगरीय निकाय चुनाव एवं पंचायत चुनाव में आबादी के अनुसार पिछड़ा वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण के विष्णु देव साय सरकार के फैसले के बाद उत्साह का माहौल है। लोग सरकार की तारीफ कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में जल्द ही आचार संहिता लागू होने वाला है। नगरीय निकायों के चुनाव के लिए 15 से 20 दिसंबर के बीच आचार संहिता लागू हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक निकाय चुनाव के लिए वोटर लिस्ट 11 दिसंबर तक फाइनल की जा सकती है। निकाय-पंचायत चुनाव को लेकर मेयर-दावेदारों में बीजेपी ने 10 नामों की चर्चा की है। वहीं कांग्रेस से एजाज ढेबर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। महापौर और पालिका अध्यक्ष बनने का सपना पाले हुए भाजपा और कांग्रेस के दावेदार इसी का इंतजार कर रहे हैं।

कैबिनेट बैठक में सरकार ने निकायों में 50 प्रतिशत आबादी के हिसाब से ओबीसी आरक्षण देने का फैसला लिया था। अब इसे राज्यपाल की सहमति से राजपत्र में शामिल कर दिया गया है। इससे पहले ओबीसी को 25 प्रतिशत तक प्राथमिकता दी जाती थी। ओबीसी को आरक्षण के साथ ही ये शर्त भी रखी गई है कि जिन इलाकों में एसटी-एससी का जहां पहले से ही आरक्षण 50 प्रतिशत या इससे ज्यादा है तो वहां ओबीसी को आरक्षित नहीं किया जाएगा।