डिंडौरी जिले में लोग सिवनी नदी में रेत निकालने का काम करते हैं। इसके लिए वे जान का जोखिम लेते हैं। करंजिया जनपद पंचायत क्षेत्र के मूसामुंडी गांव के दो दर्जन से अधिक ग्रामीण दस किमी नदी में डूबकर रेत निकालते हैं। गोरखपुर पंचायत क्षेत्र के ग्रामीणों ने गांव में काम की कमी और समय पर पैसा नहीं मिलने की बात कह रहे हैं। अधिकारी इसे उनकी परंपरा बता रहे हैं। दिन भर पानी में डूबे रहने पर एक व्यक्ति महज ढाई सौ रुपए कमा पता है।
सरकारी काम में समय पर नहीं मिलते रुपए
गोरखपुर गांव के पास से बहने वाली सिवनी नदी में दो दर्जन से ज्यादा ग्रामीण महिला ,पुरुष नदी से रेत निकालने का काम कर रहे हैं। रेत निकाल रहे सुभाष बरकड़े ने बताया कि मूसा मुंडी गांव से दो से तीन दर्जन महिला पुरुष प्रतिदिन नदी से रेत निकालने का काम करते हैं। पानी मे डूब कर रेत निकालते हैं। ग्राम पंचायत क्षेत्र में शासकीय योजनाएं तो संचालित हैं, लेकिन उसमें काम कम मिलता है, पैसे का कोई ठिकाना नहीं कब मिलेगा। चार-चार के समूह बनाकर रेत निकालते हैं, तो दिन भर में दो तीन ट्राली रेत निकल जाती है। उससे हमे दो सौ ढाई सौ रुपए मिल जाते हैं।
इस मामले में प्रभारी जनपद सीईओ राम सजीवन वर्मा का कहना है कि उन ग्रामीणों से बात की जाएगी वो शासकीय योजनाओं में काम करें, ग्राम पंचायत से काम की मांग करें। मैंने जानकारी ली है तो पता चला है कि वो यही काम कर रहे हैं, दूसरे काम मे जाने को तैयार नहीं है।