सचिन पायलट का तंज, पेपर लीक के मुद्दे पर दागे तीखे सवाल

राष्ट्रीय

राजस्थान में जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है. वैसे-वैसे ही सियासी उठापटक भी बढ़ती जा रही है. कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट इन दिनों मारवाड़ के दौरे पर हैं. अपने इस दौरे पर वह किसानों के साथ-साथ आम लोगों से भी मुलाकात कर रहे हैं. पायलट अपनी सभाओं में पेपर लीक का मुद्दा भी जोरशोर से उठा रहे हैं.

उन्होंने बुधवार को भी अपनी सभा में एक बार फिर पेपर लीक का मुद्दा उठाया. पायलट ने कहा कि अगर बार-बार पेपर लीक हो रहे हैं तो इसकी जवाबदेही तय करनी होगी. कहा जा रहा है कि पेपर लीक में कोई नेता, कोई अधिकारी शामिल नहीं है. फिर तिजोरी में बंद कागज छात्रों तक कैसे पहुंच गए हैं? यह जादूगरी है. बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सियासत में ‘जादूगर’ कहकर संबोधित किया जाता है.

पायलट ने कहा कि राजस्थान में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को अब 10 महीने का समय बचा है. अगर सभी को सम्मान दिया जाता है तो हम 2023 की लड़ाई जीत सकते हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोगों को यह गुमान है कि हमारी उड़ान कुछ कम है पर मुझे यकीन है कि आसमान कुछ कम है.

बता दें कि दौरे पर निकले सचिन पायलट आज (19 जनवरी) पाली और 20 जनवरी को जयपुर के दौरे पर रहेंगे. माना जा रहा है कि पायलट खेमा राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर आलाकमान की देरी से खुश नहीं है और इसलिए एक स्पष्ट संदेश भेजना चाहता है. पायलट पार्टी आलाकमान को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि अगर पार्टी को राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करनी है तो जल्द ही बदलाव लाना होगा.

पायलट ने पिछले साल इंडिया टुडे से बात करते हुए दावा किया था कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर जल्द फैसला ले. उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की जो बैठक पिछले साल सितंबर में नहीं हुई थी वह जल्द होनी चाहिए. हालांकि, ऐसा न होने के बाद, पायलट ने घोषणा की थी कि वह इस चुनावी साल में जनसभाओं के जरिए लोगों तक पहुंचेंगे. उनका यह फैसला उनके राजनीतिक भविष्य के लिए अहम माना जा रहा है.

बता दें कि सितंबर की CLP बैठक में कथित रूप से राजस्थान सरकार में मंत्रियों सहित पार्टी के कई विधायकों ने राज्य के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के आधिकारिक आवास पर एक अलग बैठक की और बाद में आगे बढ़कर विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया था.