संघ प्रमुख भागवत बोले- अहंकार दूर रखें, नहीं तो गड्ढे में गिरेंगे… सभी वर्गों को मजबूत बनाना जरूरी

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि व्यक्ति को अहंकार से दूर रहना चाहिए नहीं तो वह गड्ढे में गिर सकता है। पुणे में हुए कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए समाज के सभी वर्गों को मजबूत बनाना जरूरी है। संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि हर व्यक्ति में एक सर्वशक्तिमान ईश्वर होता है, जो समाज की सेवा करने की प्रेरणा देता है, लेकिन अहंकार भी होता है। राष्ट्र की प्रगति केवल सेवा तक सीमित नहीं है। सेवा का उद्देश्य नागरिकों को विकास में योगदान देने में सक्षम बनाना होना चाहिए। भागवत ने कहा कि सभी को लगता है समाज में सब कुछ गलत हो रहा है, लेकिन हर नकारात्मक पहलू के लिए समाज में 40 गुना ज्यादा अच्छी और शानदार सेवा की जा रही है। इस बारे में लोगों को बताना जरूरी है। प्रगति का कोई अंत नहीं है। इंसान पहले सुपरमैन, फिर देवता और उसके बाद भगवान बनना चाहता है, लेकिन अभी यह नहीं समझना चाहिए कि बस अब हो गया। उन्हें लगातार काम करते रहना चाहिए, क्योंकि विकास का कोई अंत नहीं है। कांग्रेस ने भागवत के इस बयान को PM मोदी के लिए बताया था। चुनाव के बाद बाहर का माहौल अलग है। नई सरकार भी बन गई है। ऐसा क्यों हुआ, संघ को इससे मतलब नहीं है। संघ नतीजों के विश्लेषण में नहीं उलझता। लोगों ने जनादेश दिया है, सब कुछ उसी के अनुसार होगा। क्यों? कैसे? संघ इसमें नहीं पड़ता। दुनियाभर में समाज में बदलाव आया है, जिससे व्यवस्थागत बदलाव हुए हैं। यही लोकतंत्र का सार है। जो अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए मर्यादा की सीमाओं का पालन करता है, जो अपने काम पर गर्व करता है, फिर भी अनासक्त रहता है, उसमें अहंकार नहीं होता है – ऐसा व्यक्ति वास्तव में सेवक कहलाने का हकदार है। समाज नष्ट न हो इसलिए सभी को कम से कम 3 बच्चे पैदा करना जरूरी है। देश की जनसंख्या नीति 1998-2002 में तय की गई थी। इसके मुताबिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो समाज अपने आप नष्ट हो जाएगा। अब कोई इंसान 0.1 पैदा तो नहीं होता… इसलिए यह कम से कम तीन होना चाहिए।