सऊदी अरब के मक्का शहर जाकर काबा छूने की तमन्ना दुनिया का हर एक मुसलमान रखता है. सऊदी सरकार की ओर से काबा का काफी ज्यादा ध्यान भी रखा जाता है. समय-समय पर किंग सलमान से लेकर शाही परिवार के अन्य सदस्य या बड़े अधिकारी काबे की देखरेख का जायजा लेते हैं. सऊदी अरब की मक्का मस्जिद में काबा का गुस्ल यानी साफ-सफाई भी एक बेहद खास प्रक्रिया है. मंगलवार को खाना-ए-काबा के गुस्ल (साफ-सफाई) अदा करने की सालाना रस्म आयोजित की गई जिसमें किंग सलमान की ओर से क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) शामिल हुए.
मक्का की बड़ी मस्जिद पहुंचे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने काबा के गुस्ल करने की रस्म निभाई. इस दौरान सऊदी सरकार के कई बड़े लोग उनके साथ रहे. इसके बाद सभी लोगों ने जमात के साथ नमाज अदा की.
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने काबा के अंदर भी खास तरह से साफ-सफाई की. उन्होंने काबे की दीवारों को साफ करने के लिए स्पेशल कपड़े का इस्तेमाल किया. अंदर की दीवारों को जिस कपड़े से साफ किया गया, वो खास तरह की खुशबू में डूबा हुआ था.
वहीं काबे के अंदर फर्श को जमजम (पवित्र जल) के पानी से धोया गया, जिसमें खास तरह का गुलाब के फूलों से मिला इत्र भी मौजूद था. धोने के बाद क्राउन प्रिंस बिन सलमान ने अपने हाथों और खजूर के पेड़ के पत्तों से फर्श को साफ किया.
काबे को साल में एक बार गुस्ल कराया जाता है. इसे इस्लाम का पुराना रिवाज बताया जाता है जो पैगंबर मोहम्मद के कहने पर सदियों से चलता आ रहा है. चाहे कोई भी सऊदी का राजा या प्रिंस रहा हो, हर साल काबे का गुस्ल आयोजित जरूर किया जाता है.
यूं तो सऊदी के शाही परिवार या उनके आदेश पर भेजे गए किसी शख्स के अलावा अंदर जाने पर प्रतिबंध है लेकिन कई बार बाहरी लोगों को अंदर जाने का मौका मिल चुका है. अक्टूबर साल 1998 में इस्लामिक सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका के संबंध रखने वाले डॉक्टर मुजम्मिल सिद्दीकी को जाने का मौका मिला था. बाहर आकर उन्होंने काबे के अंदर का नजारा बताया, जो लोगों की सोच से भी काफी अलग था.
डॉक्टर मुजम्मिल ने साउंड विजन वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में बताया था कि काबा अंदर से इतना बड़ा है कि वहां 50 लोग आराम से बैठ पाएं लेकिन अंदर लाइट नहीं है. वहां की दीवारों और फर्श पर नायाब पत्थर लगा हुआ है, जो हमेशा चमकता रहता है. काबा के अंदर एक भी खिड़की नहीं है और अंदर घुसने के लिए सिर्फ एक ही दरवाजा है.
कोरोना काल के दौरान एहतियात के तौर पर सऊदी सरकार की ओर से काबा को छूने पर पाबंदी लगा दी थी और लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के लिए कहा गया था. उस समय ज्यादा लोग तो हज या उमरा के लिए नहीं मौजूद थे लेकिन सऊदी सरकार किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती थी.
सरकार की ओर से हाल ही में यह पाबंदी हटाई गई है जिसके बाद अब लोग एक बार फिर से काबा के अल-हजर अल-असवाद (काले पत्थर) को छू और चूम सकेंगे.