मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा ने भोपाल में कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. कोर्ट ने सौरभ की केस डायरी मंगवाई है. केस डायरी आने के बाद अदालत मंगलवार को मामले की सुनवाई करेगी. आयकर विभाग (IT), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और एमपी लोकायुक्त की छापेमारी के बाद से सौरभ फरार चल रहा था. सोमवार को कोर्ट में पेश होने के बाद उसने सरेंडर किया है 18 दिसंबर को परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ के भोपाल अरेरा कॉलोनी स्थित ठिकानों पर लोकायुक्त पुलिस ने छापा मारा था. इस कार्रवाई में सौरभ शर्मा के पास करोड़ों की संपत्ति मिली, साथ ही उनके दोस्त चेतन सिंह गौर की कार से सोना भी बरामद हुआ था. मध्य प्रदेश की लोकायुक्त पुलिस ने 18 और 19 दिसंबर को परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा के आवास और कार्यालय पर छापे मारे थे. इस दौरान लोकायुक्त को सौरभ के ठिकानों से 7.98 करोड़ रुपए नगद और गहने मिले, जिसमें 2 क्विंटल से ज्यादा चांदी की ईंटें भी शामिल हैं लोकायुक्त पुलिस महानिदेशक जयदीप प्रसाद ने बताया कि सौरभ शर्मा के पिता आरके शर्मा सरकारी डॉक्टर थे और उनकी 2015 में मृत्यु हो गई थी. इसके बाद सौरभ शर्मा को 2015 में अनुकंपा के आधार पर राज्य परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर नियुक्ति मिली और उसने 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। लोकायुक्त पुलिस के मुताबिक, सौरभ शर्मा ने भ्रष्ट तरीकों से अर्जित धन का इस्तेमाल भारी संपत्ति अर्जित करने में किया, जिसमें अपनी मां, पत्नी, रिश्तेदारों और करीबी सहयोगियों चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल के नाम पर स्कूल और होटल खोलना शामिल है इसके बाद आयकर विभाग (IT) ने भी सौरभ शर्मा के सहयोगियों गौड़ से नकदी और सोना भी जब्त किया. इस केस में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की भी एंट्री हुई.
ED ने सौरभ के घर और दफ्तर समेत रिश्तेदारों, सहयोगियों चेतन गौर, शरद जायसवाल, रोहित तिवारी के ठिकानों पर छापे मारे थे. इस दौरान ईडी ने बैंक खातों में 4 करोड़ रुपए के बैलेंस मिला. इसके अलावा 23 करोड़ की संपत्ति और 6 करोड़ रुपए की एफडी भी पकड़ी. इसके अलावा कई फर्म और कंपनियों के जरिए किए गए निवेश का भी खुलासा हुआ.